न्यूज डेस्क : अब बिहार में फ्रांस की टेक्नोलॉजी के द्वारा बिजली से सम्बंधित एक बड़ी समस्या दूर हो जाएगी। जिससे आने वाले दिनों में बिजली उत्पादन के लिए पावर स्टेशन के लिए जमीन अधिग्रहण की समस्या से मुक्ति मिल सकता है । बिहार में अब चलता फिरता पॉवर स्टेशन बनाये जाने की कवायद विभाग की ओर से किया जा रहा है। इसको विद्युत विभाग ने एक समाधान निकाला। बताते चलें कि बिहार में अब फ्रांस की टेक्नोलॉजी वजह से कंटेनर में ही बिजली उत्पादन किया जाएगा । यह टेक्नोलॉजी “फ्रांस की एडवांस्ड” टेक्नोलॉजी की है।
इन जिलों में बनेगा चलंत पॉवर स्टेशन बिहार में पायलट प्रोजेक्ट के तहत आयातित छह ई पावर सब स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। जिसमे बिहार के विभिन्न जिलों में स्थापना किया जाएंगे। फिलहाल बिहार के पटना में चार और एक-एक मुजफ्फरपुर तथा समस्तीपुर के लिए है। इन्हें महज 250 वर्गमीटर में स्थापित किया जा सकेगा। वर्तमान में पावर सब स्टेशन के लिए 2400 वर्गमीटर जमीन की जरूरत पड़ती है।
जानिए, कैसे काम करेगा यह टेक्नोलॉजी बता दे की राजधानी पटना में यह कंटेनर टेक्नोलॉजी स्थापित कर दिया गया है। साथ ही पावर ट्रांफार्मर स्थापित करने का कार्य एक सप्ताह में शुरू हो जाएगा। यह पावर सब स्टेशन जरूरत पड़ने पर एक दूसरे स्थान पर स्थानांतरित भी किए जा सकते हैं। बंद कंटेनर में पावर सब स्टेशन रहेगा। बारिश और जलजमाव की चपेट में नहीं आएगा। बाहरी हिस्से में सिर्फ 10-10 एमवीए का दो पावर ट्रांसफार्मर लग रहा है। इसके लगाने के लिए चबूतरा बना दिया गया है। कंटेनर की लंबाई 12 मीटर 100 इंच, ऊंचाई 14 फीट और चौड़ाई चार मीटर 100 इंच है।
इतनी लगेगी लागत आपको बता दे की यह कंपनी फ्रांस की स्लाइडर इलेक्ट्रीक से कंटेनर की खरीद की गई है। एक ई- पावर हाउस के निर्माण में छह करोड़ रुपये खर्च आ रहे हैं। इस पावर सब स्टेशन के बाद बिजली का तार नहीं दिखेगा। साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के लिए चार तथा नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के लिए दो ई-पावर हाउस स्वीकृत है।