क्या गुप्तेश्वर पांडे बेगूसराय से लड़ेंगे चुनाव, 1989 में बेगूसराय सीट से ही चुनाव जीते थे पहले और आखिरी आईपीएस

डेस्क : बेगूसराय जिला आईपीएस अधिकारी के लिए चुनाव जीतने का सुरक्षित सीट माना जाता है। डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय के इस्तीफे के बाद बिहार का सियासी पारा तो चढ़ा ही जिसके बाद बेगूसराय के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा श्री पांडेय के किसी पार्टी में शामिल होने से पहले हीं उन्हें बेगूसराय विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाने की मांग करने लगे। हलांकि यह मांग उठना भी लाजिम है। क्यों कि बेगूसराय ही ऐसा जिला है जहां से पहला और आखिरी आईपीएस ललित विजय सिंह को जीत मिली थी। इसके पहले और बाद अब तक कोई भी आईपीएस अधिकारी को चुनाव जीतने का सौभाग्य नहीं मिला है।

बिहार में चुनावी समर में दारोगा पड़ते हैं आईपीएस पर भारी बेगूसराय की धरती पर सांसद शहाबुद्दीन को मजा चखाने वाले डीजीपी डीपी ओझा भी चुनाव लड़े लेकिन जीत उनके नसीब नहीं हो पाया । बेगूसराय से गुप्तेश्वर पाण्डेय अगर उम्मीदवार होंगे तो यहां के लिए कोई नयी बात नहीं होगी। बिहार के चुनावी रण में आईपीएस अधिकारियों पर दरोगा भारी पड़ते हैं। ओहदे में दरोगा डीजीपी से काफी नीचे का पद है, बावजूद इसके चुनावी मैदान में कयी दरोगा नें जीत दर्ज की और आईपीएस हारे हैं। ललित विजय सिंह को छोड़कर अब तक कोई आईपीएस अफसर चुनाव नहीं जीत सका है। नीतीश कुमार ने जब बिहार की कमान संभाली थी तब बिहार के डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा थे।

सेवानिवृत्ति होने के बाद आशीष रंजन सिन्हा ने राजद का दामन थाम लिया। 2014 में वो कांग्रेस में शामिल हुए और नालंदा से लोकसभा चुनाव लड़ा। इसमें उन्हें 1 लाख 27 हजार 270 वोट मिले। आशीष रंजन सिन्हा को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था। हार के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। साल 2003 तक बिहार के डीजीपी रहे डीपी ओझा 2004 में बेगूसराय से चुनावी मैदान में उतरे। डीजीपी रहते हुए सीवान के आतंक शहाबुद्दीन की कमर तोड़ने वाले डीपी ओझा को उम्मीद थी कि वो चुनाव जीत जाएंगे। चुनावी परिणाम आया तो पता चला कि डीपी ओझा की जमानत तक जब्त हो गई।। इसी तरह आईजी रहे बलवीर चंद ने भी 2004 में गया से भाजपा के टिकट पर ताल ठोकी थी। लोकसभा के इस चुनाव में इस चर्चित आईपीएस की हार हुई थी। 2019 में पटना साहिब से निर्दलीय चुनाव लड़े पूर्व डीजीपी अशोक कुमार गुप्ता को तो नोटा से भी कम वोट मिले थे।

इस चुनाव में 5 हजार 76 लोगों ने नोटा दबाया था। गुप्ता को मात्र 3447 वोट मिले थे। हाल ही में डीजी होमगार्ड्स के पद से सेवानिवृत्ति हुए आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार ने भी जदयू की सदस्यता ली है और टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। अब तक बिहार के एकमात्र आईपीएस ललित विजय सिंह चुनाव जीत सके हैं। 1989 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर बेगूसराय से जीत हासिल की थी। अब ऐसी परिस्थिति में अगर श्री पांडेय जदयू कार्यकर्ताओं के मांग पर बेगूसराय से चुनाव लड़ें तो उनके लिए महज़ यह एक बड़ी अग्नि परिक्षा होगी। हालांकि वह बेगूसराय में एसपी के रूप में कार्य कर चुके हैं।