डेस्क : WHO प्रमुख डॉक्टर टेड्रेस एडनाॅम ग्रेबीयेसस विश्व स्वास्थ संगठन ने कहा कि जिस रफ्तार से कोरोना महामारी बढ़ रही है अगर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह बद से बदतर हो जाएगी, साथ ही यह भी कहा कि आने वाले वक्त में हालत और भी खराब हो जाएगी। दुनिया के कई सारे देश कोरोना से निपटने के मामले में गलत दिशा में जा रहे हैं डॉक्टर का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमण के नए मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं इससे साबित होता है कि जिन एहतियात और उपाय की बात की जा रही है उनका पालन बिल्कुल नहीं किया जा रहा है। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका इस महामारी की चपेट में अभी सबसे बुरी तरह से प्रभावित है। अमेरिका में स्वास्थ्य विशेषज्ञ और राष्ट्रपति ट्रंप में चल रही तनातनी के बीच संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जो की चिंता का विषय बना हुआ है।
WHO ने दुनिया को क्यों चेताया सोमवार को जिनेवा में प्रेस वार्ता के दौरान टेड्रेस में कहा कि दुनिया भर के नेता जिस तरह से महामारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं उससे लोगों का भरोसा कम हुआ है। कोरोना वायरस अभी भी लोगों का नंबर वन दुश्मन है लेकिन दुनिया भर के कई सरकारें इसे लेकर जो ठोस कदम उठा रही है उसे यह आभास नहीं होता कि कोरोना को कोई गंभीर खतरे की तरह नहीं ले रही है। आगे उन्होंने कहा सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोना और मास्क पहनना इस महामारी से बचने के तरीके हैं और इसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत भी है लेकिन लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। लिहाजा हाल-फिलहाल पहले वाली स्थिति में वापस आना संबंध नहीं है.
चेतावनी देते हुए कहा कि निकट भविष्य में ऐसा लगता नहीं है कि पहले की तरह सब कुछ सामान्य हो जाएगा अगर बुनियादी चीजों का पालन नहीं किया गया तो एक ही रास्ता है कि कोरोनावायरस और बढ़ता ही जाएगा, यह बद से बदतर होता जाएगा। डब्ल्यूएचओ के आपातकाल निदेशक माइक रायन ने कहा कि अमेरिका में लॉकडाउन में ढील और कुछ इलाकों को खोलने से संक्रमण की ओर तेजी से फैलने का डर है अमेरिका में एक लाख 45000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कहा जा रहा है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ेगा क्योंकि पर्याप्त टेस्टिंग नहीं हो रही है इनमें से आधे से ज्यादा मौतें ब्राजील में भी हुई है।
वैज्ञानिकों ने 96 लोगों पर किया अध्ययन वैज्ञानिकों ने 96 लोगों पर अध्ययन किया कि कैसे शरीर एंटीबाॅडीज के जरिए स्वाभाविक रूप से कोरोना का सामना करता है और यह कितने दिनों तक टिकता है. मतलब यह स्पष्ट नहीं है कि कोरोना पीडित ठीक होने के बाद कब तक ठीक रह सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने प्रेस वार्ता में कहा इस बात के सबूत मिले हैं कि 10 साल से कम उम्र के बच्चे को कोविड-19 से आंशिक रूप से प्रभावित हुए जबकि जो लोग 10 साल से ऊपर हैं उनमें भी इसी तरह के लक्षण दिखाई दिया।
क्या कहती है वैक्सीन या इम्यूनिटी डॉक्टर रायन ने कहा हमें वायरस के साथ कैसे जीना है इसे सीखना होगा. यह उम्मीद करना कि वायरस को खत्म किया जा सकता है या कुछ महीनों में प्रभावी व्यक्ति तैयार हो जाएगी यह सच नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक पता नहीं है कि कोरोनावायरस से ठीक होने वालों में इम्यूनिटी बन रही है या नहीं और अगर बन भी रही है तो यह नहीं पता है कि कब तक प्रभावी रहेगी।