भारत में तीसरी बार एजुकेशन पॉलिसी को जुलाई 2020 में ही हरी झंडी दे दी गई थी। हालांकि अब तक कुछ राज्यों में ही इसे लागू किया जा सका है। सिर्फ कुछ राज्य है जिसने इसे अपना लिया है। सबसे पहले न्यू एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने वाला राज्य उत्तराखंड बना है।
भारत में पहली बार 1968 में तथा दूसरी बार 1986 में एजुकेशन पॉलिसी लाई गई थी। उसके बाद वर्ष 2017 में इसरो प्रमुख डॉक्टर के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित समिति में तीसरे एजुकेशन पॉलिसी बनाई गई। एजुकेशन पॉलिसी की जरूरत भारत को इसलिए भी थी क्योकि 1986 से लेकर अब तक में भारत में काफी ज्यादा बदलाव हो चुका है।
न्यू एडुकेशन पालिसी में बर्तमान का दोगुना खर्च किया जाएगा शिक्षा गुणवत्ता सुधार के लिए न्यू एजुकेशन पॉलिसी जल्दी भारत के सभी राज्यों में लागू कर दी जाएगी। इसे लेकर लोगों के मध्य में हालांकि भिन्नता जरूर है। लेकिन कुछ बातें इस न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत इतनी ख़ास व अलग है। जिसका फायदा आने वाली जनरेशन को आठ दस वर्षों के बाद पता चलेगा।
वर्तमान में इंडिया एजुकेशन पर जीडीपी का 3% ही खर्च करता है जिसे कि अब 6% करने की बात कही गई है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत जब जीडीपी का इतना हिस्सा एजुकेशन में खर्च किया जाएगा और शिक्षा पर राज्य और केंद्र द्वारा निवेश किया जाएगा तो उसका सीधा असर शिक्षा की क्वालिटी पर पड़ेगा। जब बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा बच्चों को दी जाएगी तो उनका भविष्य बेहतर होना बिल्कुल ही संभव है।
आई आई टी में ज सकेंगे ह्यूमानिटी के स्टूडेंट्स भी न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से रिसर्च कल्चर को भी बढ़ावा दिया जाएगा। जिसकी अभी ज़रूरत भारत में काफी ज्यादा है। प्रैक्टिकल नॉलेज, इनोवेशन ज्यादा हो इसकी कोशिश होगी। आईआईटी जैसी संस्थान को मल्टीडिसीप्लिनरी बना दिया जाएगा ताकि ह्यूमैनिटी के छात्रों को भी इस में जाने का मौका मिल सके और वहां की चीजों को समझ सके।
इसके साथ ही साथ जो सबसे अहम बात न्यू एडुकेशन पॉलिसी की रहेगी। वह यह है कि फीस की एक उच्चतर सीमा तय करने के लिए पारदर्शी तंत्र विकसित करने का प्रावधान इसके अंतर्गत किया गया है ताकि मनमानी फीस वृद्धि को रोका जा सके।
सब्जेक्ट सेलेक्शन में होगी पूर्णतः छूट न्यू एजुकेशन पॉलिसी का मुख्य लक्ष्य छठी से ही वोकेशनल स्टडीज देना ताकि सेल्फ एंप्लॉयमेंट के अवसर बढ़ने लगे। छठी कक्षा से बच्चों को इंटर्नशिप करवाई जाए ताकि प्रैक्टिकल नॉलेज मिले और न्यू एजुकेशन पॉलिसी में वर्ष 2025 तक लगभग 50% स्टूडेंट्स को वोकेशनल स्टडीज में लाने का लक्ष्य रखा गया है।
वहीं 9वीं से लेकर 12वीं क्लास के बच्चे अपने पसंद के सब्जेक्ट का चुनाव कर पाएंगे क्योंकि सब्जेक्ट कंबीनेशन को अब मल्टीडिसीप्लिनरी बना दिया गया है जो बच्चा चाहे तो साइंस के सब्जेक्ट के साथ आर्ट्स की पढ़ाई भी कर सकता है। बोर्ड एग्जाम के वैटेज को घटाकर स्टूडेंट्स के लोड व स्ट्रेस को कम कर दिया गया है।
आंगनबाड़ी के स्तर से ही ही शिक्षा में सुधार की होगी व्यवस्था सबसे अहम बातों में से एक न्यू एजुकेशन पॉलिसी कि है। इसे बेहतर टीचर और बेहतर रिजल्ट पर बेस्ट माना गया है। अर्ली चाइल्डहुड करियर और एजुकेशन के शुरुआती कार्य तैयार करने के लिए आंगनवाड़ी वर्कर्स और टीचर को एनसीईआरटी द्वारा बनाये गए पाठ्यक्रम के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें महिला और बाल विकास स्वास्थ्य तथा जनजातीय मंत्रालय ऑपरेट करेगी ताकि बचपन से ही स्टूडेंट्स को अच्छे लेवल का एजुकेशन मिल सके।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी को डिवेलप करने में राज्यों का अहम रोल होगा। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में काफी कमियां है जिसका की खामियाजा देश में बेरोजगारी के रूप में भुगतना पड़ता है। उम्मीद है कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी इन कमियों को दूर करेगा और आने वाली पीढ़ी के पास काम के इतने ज्यादा ऑप्शन हुए होंगे कि उनके सामने बेरोजगारी का मसला कभी भी गंभीर हो ही नहीं सकेगा।