मुंगेर रेल सह सड़क पुल का काउंटडाउन शुरू-25 दिसंबर से दौड़ेंगे वाहन, बिहार के विकास को मिलेगी तेज रफ्तार

डेस्क: करीब 18 बरसों से अटकी और पूर्ण नहीं होने वाले मुंगेर पुल को सरकार ने 2021 के अंत में जनता के लिए खोल देने का निर्णय लिया है। वर्ष 2003 से लंबित इस महत्वाकांक्षी योजना की लागत राशि तो बढ़ती गई पर काम की गति मंथर रही। 18 बरसों में इसकी लागत राशि 921 करोड़ से बढ़कर 2774 करोड़ हो गई। तीन गुना से अधिक लागत राशि बढ़ने के बावजूद रेलगाडी तो इसपर चार साल पहले ही दौड़ गयी। लेकिन, सड़क मार्ग जमीन अधिग्रहण की दीर्घसूत्रता और पेंच फंसते रहने के कारण अटकी रही। पुल का शुभारंभ सीएम नीतीश कुमार खुद करेंगे। इस दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे।

बेगूसराय से मुंगेर की दूरी महज 30 से 40 KM रह जाएगी: जानकारी के लिए आपको बता दें कि पिछले दिनों बिहार सरकार ने 57 करोड़ रूपए देकर ज़मीन अधिग्रहण का मार्ग प्रशस्त कर दिया तो इसके निर्माण में तेजी आ गई। अब कोई बांधा नहीं आती तो सरकार के मंत्रियों के दावे को सही माना जाए तो अटल जी की जयंती पर इसपर से लोग सवारी कर सकेंगे, इस पुल के एप्रोच पथ चालू हो जाने संबंधी बेगूसराय खगड़िया, बरौनी से मुंगेर की दूरी काफी घट जाएगी। जहां पहले मुंगेर जाने में लोगों को सिमरिया- लखीसराय होते हुए लगभग 40 से 50 किलोमीटर यात्रा तय करना पड़ता था, लेकिन, अब यह घटकर महज 30-40 किलोमीटर हो जाएगी।

पुल बन जाने से पूर्वोतर क्षेत्रों के साथ व्यापार और आवागमन सुगम हो जाएगा: बता दे की इस मुंगेर पुल का एप्रोच पथ चालू हो जाने से मुंगेर खगड़िया और बेगूसराय जिले के पूर्वी क्षेत्र का अधिक तेजी से विकास होगा। खासकर, व्यापारियों को अधिक लाभ मिलेगा, मुंगेर के दक्षिण के पहाड़ों से निकलने वाले पत्थर और नदियों के बालू दूर कोशी और दरभंगा क्षेत्र से कम लागत और कम समय में पहुंचाए जा सकते हैं। मुंगेर के पौराणिक और ऐतिहासिक शहर को यह सड़क सह रेल पुल पुर्नजीवित कर देगा।

Munger Bridge

उत्तर बिहार का जुडाव सीधे पूर्वोत्तर राज्यों से हो जाएगा: बता दे की मुंगेर का संबंध कलकत्ता से दरभंगा मुजफ्फरपुर, उत्तर बिहार के अन्य जिलों और पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा पूर्वोत्तर के राज्यों से सीधा जुड़ाव का हो जायेगा। इससे विकास का नया रास्ता खुलेगा। झारखण्ड के शहरों का पूर्वोत्तर बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों से हो जाने से वहां के खनिज और अन्य सामग्रियों की पहुंच आसान हो जाएगा।

छोटे छोटे व्यापारियों को व्यापार करने में सुविधा होगी: बेगूसराय खगड़िया से प्रतिदिन हजारों की संख्या दूध बेचने वाले व्यापारी हर दिन अपनी जान हथेली पर रखकर मुंगेर अपना व्यापार करने के लिए जाते हैं, कभी पुल के बीचों बीच रेलवे ट्रैक से चल पड़ते हैं, तो कभी छोटे नाव पर ज्यादा की संख्या में सवार होकर चल पड़ते हैं, ऐसे में हमेशा खतरा बना रहता है, की कहीं कोई अनहोनी न हो जाए, अगर मुंगेर पुल एप्रोच पथ बन जाता है तो व्यापारी सीधे सड़क मार्ग होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

बालू के दामों में आएगी कमी: मुंगेर पुल एप्रोच पथ बन जाने से लाल बालू में दाम में काफी कमी आ सकती है, क्योंकि अभी व्यापारी सिमरिया पुल होते हुए बरौनी के रास्ते अलग-अलग क्षेत्रों को जाते हैं, वहीं अब सीधे मुंगेर होते हुए साहेबपुर कमाल के रास्ते अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंच सकेंगे, अभी फिलहाल व्यापारी नाव के सहारे घाटों को पर उतारकर ट्रॉली के माध्यम से बेचते हैं।