राजधानी पटना समेत इन 5 जिलों के पानी में मिला यूरेनियम, बढ़ सकती है कैंसर एवं किडनी की समस्या, पढ़े ताजा रिपोर्ट.

न्यूज डेस्क : देश में विभिन्न राज्यों के कुछ स्थानीय क्षेत्रों में 30 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर विश्व स्वास्थ्य संगठन अनंतिम दिशानिर्देश अनुसार से ऊपर यूरेनियम की मात्रा पाई गई है। लेकिन, इसमें बिहार के इन 6 जिलों में भी यूरेनियम की मात्रा मानक से दोगुना से ज्यादा मिली है, जो कि मानव जीवन के लिए अत्यंत ही घातक है, बता दे की केंद्रीय भूजल बोर्ड और राज्य भूजल विभागों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जो बताती है कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर में यूरेनियम सांद्रता का स्थानीयकरण हुआ है।

लेकिन, बिहार में भी यूरेनियम सबसे अधिक मात्रा में पाया गया है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम या उससे कम होनी चाहिए, लेकिन राज्य के कुछ जिलों में 85 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर मिली है। जो कि मानव जीवन के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है, इससे न जाने कितने बीमारियां फैल सकती है। खासकर, कैंसर एवं किडनी की समस्या ज्यादा बढ़ सकती है। इन सभी समस्याओं को लेकर अभी इसपर अध्ययन किया जा रहा है। पिछले साल एक रिसर्च में पता चला था, जिसमे महावीर कैंसर संस्थान में रिसर्च करने वाले विज्ञानी एवं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष का कहना है कि अब तक बिहार के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मिलती थी, लेकिन पहली बार प्रदेश के पानी में यूरेनियम मिला है। बिहार में यूरेनियम पटना, नालंदा, नवादा, सारण, सिवान एवं गोपालगंज में मिला है। जानकारी के लिए आपको बता दें की फिलहाल, पड़ोसी राज्य झारखंड के जादूगोडा में यूरेनियम पाया जाता था लेकिन बिहार में पहली बार इस अनुपात में मिला है। विज्ञानी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि राज्य के पानी में यूरेनियम कहां से आ रहा है। उस दिशा में रिसर्च का काम अभी चल रहा है। उम्मीद है कि इसके श्रोत को जल्द ही खोज लिया जाएगा।

रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि गंगा के तटवर्ती जिलों में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा मात्रा मिलती है। इसमें बक्सर से लेकर भागलपुर तक के जिले शामिल हैं। यूरेनियम में कई जिले उससे अलग हैं। खासकर नालंदा एवं नवादा, इन जिलों में आर्सेनिक की मात्रा कभी नहीं पाई गई। ये जिले गंगा के तटवर्ती भी नहीं है। इन जिलों में यूरेनियम की मात्रा मानक से ज्यादा मिलने से विज्ञानी भी हैरान हैं। इस संबंध में पटना मेडिकल कॉलेज के कैंसर विभाग के अध्यक्ष पीएन पंडित बताते हैं की पानी में मानक से अधिक मात्रा में यूरेनियम मिलने से न केवल मानव जाति, बल्कि पर्यावरण पर भी इसके घातक परिणाम देखे जा सकते हैं। यूरेनियम रेडियो एक्टिव तत्व है। पानी में इसकी मात्रा बढऩा स्वास्थ्य के लिए घातक है। अब देखना है कि इन जिलों में कैंसर के मरीजों की क्या स्थिति है? इस पर आगे काम किया जाएगा।