कटिहार के मध्य विद्यालय में एक ही बोर्ड पर हो रही दो विषयों की पढ़ाई, प्रश्नचिन्ह लगा रहा बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर

शिक्षा से संबंधित मामलों को लेकर आजकल बिहार काफी चर्चा में रह रहा है। बीपीएससी का पेपर लीक कांड हो या बिहार के मुख्यमंत्री को बच्चे के द्वारा रोक कर पढ़ाई करवा देने की गुहार लगा ना ।कुछ ना कुछ को लेकर बिहार हमेशा ही खबरों में रह रहा है और अभी कुछ दिनों से एक वीडियो बिहार के कटिहार का है जो काफी वायरल हो रहा है। इसमें एक ही क्लास रूम में दो टीचर बच्चों को पढ़ा रहे हैं और एक टीचर बच्चों को शांत करवाती नजर आ रही हैं।

एक ही बोर्ड पर हो रही दो विषयों की पढ़ाई बिहार के कटिहार में स्थित आदर्श मिडल स्कूल का वायरल हुआ यह वीडियो बिहार के शिक्षा व्यवस्था की एक चिंताजनक तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है। इसे देखकर साफ पता चल रहा है कि प्राथमिक शिक्षा के लिए सरकार भले ही कितनी भी योजना बना लें, लेकिन सभी योजनाएं सिर्फ कागजी ही रह जाते हैं। रिजल्ट के नाम पर सिर्फ वही ढाक के तीन पात बच जाते हैं। जब एक ही क्लास में एक ही ब्लैक बोर्ड पर दो अलग-अलग विषय पढ़ाए जा रहे हो तो क्या कोई टीचर बच्चों को पढ़ा पाएगा और क्या ही कोई बच्चा कितना समझ पाएगा। यह बिल्कुल साफ है।

163 बच्चों पर विद्यालय में सिर्फ़ 3 शिक्षक वर्ष 2017 में मनिहारी प्रखंड के उर्दू प्राथमिक विद्यालय को आजमपुर गोला मध्य विद्यालय में शिफ्ट करवा दिया गया था। लेकिन यहां कमरे बच्चों को सिर्फ एक ही दिए गए थे, जिसकी वजह से पिछले 5 वर्षों से बच्चे इसी हालत में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है। इस स्कूल में कुछ 163 बच्चे हैं जिन्हें बढ़ाने के लिए स्कूल में सिर्फ 3 शिक्षक एवं शिक्षिकाएं है। जिस वजह से दिन में सिर्फ दो क्लास चल पाती हैं। इस स्कूल की टीचर कुमारी प्रियंका का कहना है। एक ही बोर्ड पर आधे हिस्से में उर्दू के टीचरों को पढ़ाने के लिए दिया जाता है और ब्लैक बोर्ड के आधे हिस्से में हिंदी की कक्षाएं चलती है।

आदर्श मध्य विद्यालय कटिहार के वीडियो के वायरल हो जाने के बाद अब जिले के शिक्षा पदाधिकारी पर सवाल उठना जायज है। और यह ना सिर्फ कटिहार के शिक्षा पदाधिकारी को सवालों के घेरे में ला रहा है बल्कि राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहा है। शिक्षा का अधिकार जो कि भारतीय संविधान के अनुसार एक मौलिक अधिकार है, उसमें इस तरह की व्यवस्था बच्चों को प्राथमिक स्तर पर मिलना ही कितना जायज है या काफी चिंतनीय और सोचनीय मुद्दा बन चुका है।