न्यूज डेस्क : भारत नेपाल के बीच ट्रेन सेवा सुचारू होने को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आयी है। बताते चलें कि बिहार के जयनगर से नेपाल के जनकपुर धाम तक की ट्रेन सेवा जल्द ही शुरू होने वाली है। इस रूट पर पहले नैरो गेज लाइन की ट्रेनें चला करती थीं। लेकिन, परिवर्तन के बाद अब बिहार और नेपाल के लोग ब्रॉड गेज की ट्रेन का सफर का आनंद उठा सकेंगे। बता दें की नेपाल में शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद जयनगर से जनकपुर होकर कुर्था तक 35 KM ट्रेन शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है।
इस रेललाइन पर परिचालन शुरू करने के लिए 18 जुलाई को समस्तीपुर मंडल के जयनगर और नेपाल के कुर्था के मध्य 34.50 किलोमीटर लंबे आमान परिवर्तित रेलखंड पर लोकोमोटिव द्वारा 110 किलो मीटर प्रतिघंटा की गति से सफलतापूर्वक स्पीड ट्रायल किया गया। अब नेपाल से हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक, बिहार के जनकपुर-जयनगर के बीच रेलवे ट्रैक 85 साल पहले अंग्रेजों ने बनवाई थी। इस रास्ते से अंग्रेज नेपाल के मतोहारी के जंगलों से लकड़ी भारत लाया करते थे। पहले यह 52 किलोमीटर लंबी रेल लाइन मतोहारी के बिजुलपुरा से बिहार के जयनगर के बीच थी। पिछले छ: साल से इस रास्ते से रेल यातायात को बंद कर दिया गया था। बता दे की वर्ष 2014 तक छोटी लाइन पर ट्रेनों का परिचालन होता था। भारत सरकार ने भारत-नेपाल मैत्री रेल परियोजना के तहत वर्ष 2010 में इसे बड़ी लाइन में बदलने की योजना बनाई। जयनगर से बर्दीबास तक 65 किमी काम करने का निर्णय लिया गया। जिम्मेदारी भारत सरकार के उपक्रम इरकान इंटरनेशनल को दी गई।
तीन चरणों में बनेगा जयनगर-जनकपुर-बारदीबास के रेल लाइन : बताते चले की मई 2018 में नेपाल और भारत के बीच इस रूट पर दो सेट ट्रेन को लेकर करार हुआ। भारत सरकार के सहयोग से जयनगर-जनकपुर-बारदीबास के बीच 69 किलोमीटर (KM) का यह रूट तीन चरणों में पूरा हुआ है। पहले चरण में जयनगर से कुर्था, दूसरे में कुर्था से भंगाहा और तीसरे चरण में भंगाहा से बारदीबास तक का काम पूरा हुआ। इसमें करीब 10 करोड़ रुपये की लागत आई। पहले फेज में जयनगर से जनकपुर के बीच 35 किलोमीटर तक ट्रेन चलाई जाएगी। रेल अधिकारियों के मुताबिक एक बार में करीब एक हजार यात्री सफर कर पाएंगे और ट्रेन की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। चेन्नई से कोच और इंजन खरीदने में नेपाल को 85 करोड़ रुपए का खर्च आया है।
रेल लाइन शुरू होने से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा : बता दे की जयनगर-जनकपुर रेलवे लाइन शुरु होने से जनकपुरधाम माता सीता की जन्म भूमि जाने में श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत मिलेगी। इससे अर्थव्यवस्था तो मजबूत होगी ही साथ में कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत को भी नई पहचान मिलेगी। यह सिर्फ हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल है, बल्कि पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी पहचान रखता है। शायद यही वजह है कि यहां के लोग इस रूट पर रेलगाड़ी की आवाज सुनने को बेताब हैं।