बिहार में बाढ़ की भयावह स्थित, जिंदगी जीने की तो बात दूर, मरने के बाद भी न मिला सूखी जमीन, फिर नाव पर किया अंतिम संस्कार

डेस्क : बिहार के कुछ जिलों में बाढ़ का सितम झेल रहे लोगों की जिंदगी नरक हो गयी है। जिंदगी की बात तो छोड़िए मरने के बाद भी लोगों को चिता के लिए जमीन नसीब नहीं हो रहा । क्योंकि , गाँव में चारो ओर पानी ही पानी है। ऐसा ही एक वीभत्स खबर बिहार के दरभंगा से आई है। जहां बाढ़ की भीषण स्थिति का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के महिसाैत गांव में शवदाह तक के लिए कहीं सूखी जमीन नहीं बची है।

यहां मौत के बाद का अंत्येष्टि भी मुसीबतों से भरी है। लेकिन, अंतिम विदाई में काेई कमी न रह जाए, इसलिए लाेग जोखिम भरे पर अनूठे इंतजाम भी कर रहे हैं। साेमवार काे महिसाैत गांव में बाढ़ की सबसे भयावह किंतु, जीवट भरी ऐसी ही तस्वीर सामने आई। इसी गांव के शिवनी यादव की मृत्यु हाे गई। परिजनों के साथ ग्रामीणों ने भी तय किया कि अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर ही करेंगे। इसलिए श्मशान स्थल पर बांस का मचान बनाया। उसके ऊपर माटी की वही काेठी रखी, जिसमें अनाज सहेज कर रखते हैं।उसमें शव को रख लकड़ी, गोइठा आदि से चिता सजाई गई। ग्रामीणों की मदद से नाव से ही परिक्रमा आदि की गई। मृतक शिवनी काे बेटे रामप्रताप ने नाव से ही मुखाग्नि दी। रामप्रताप ने बताया कि बीमार पिता के निधन के बाद ग्रामीणों के सहयोग से अंतिम विदाई संभव हुई।