बिहार में खत्म हो जाएगा इन सरकारी स्कूलों का अस्तित्व , जानिए- इसमें कार्यरत शिक्षकों का क्या होगा..

डेस्क: बिहार के सीएम नीतीश कुमार भले ही शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हो मगर जमीनी हकीकत में इसकी व्यवस्था किस कदर लचर है यह बात किसी से छुपा नहीं है, बता दे की हाल ही में सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के सैकड़ों सरकारी स्कूल का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है, विभाग इसकी तैयारी में भी जुट गई है, बता दें कि ये वैसे स्कूल है, जहां पर स्कूल का खुद का भवन नहीं है.. और ना ही किसी अन्‍य स्‍कूल के परिसर में ही उनका संचालन हो रहा है।

बताते चलें कि सरकार ने इन सभी स्कूलों की सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी है, करीब आधे जिलों से यह रिपोर्ट मिल गई है, लेकिन प्रदेश में एक ही भवन में चल रहे एक से अधिक विद्यालयों का विलय अब मूल विद्यालय में कर दिया जाएगा। इस क्रम में जहां ज्यादा शिक्षक होंगे, उन्हें जरूरत वाले विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस फैसले पर अमल करना शुरू कर दिया है।

इन 20 जिलों की रिपोर्ट आ गई है: बता दे की प्राथमिक शिक्षा विभाग के निर्देशक अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने 18 जिलों से एक रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने सोमवार को संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भी लिखा है और सप्ताह भर में जानकारी देने को कहा है। वैसे 20 जिलों से इसकी रिपोर्ट आ भी गई है। लेकिन अभी भी बहुत से जिला की रिपोर्ट नहीं आई है जैसे कि अररिया, अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, गोपालगंज, कैमूर, कटिहार, खगड़ि‍या, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, सारण, शिवहर, सिवान और वैशाली जिला शामिल है,

सबसे बड़ी वजह यह है: सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में अभी भी ऐसे बहुत सरकारी स्कूल है, जिनका एक ही परिसर में संचालन किया जा रहा है। खासकर शहरी क्षेत्र के स्‍कूलों में ऐसी दिक्‍कत अधिक है। एक स्‍कूल के भवन में कहीं-कहीं तो चार से पांच तक स्‍कूलों का संचालन हो रहा है। सरकार ने ऐसे स्‍कूलों को भवन और जमीन उपलब्‍ध कराने की काफी कोशिश की। इसके बावजूद मसला नहीं सुलझने पर यह तय किया गया कि एक भवन में चलने वाले सभी स्‍कूलों को आपस में मर्ज कर दिया जाए। इससे प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्‍यापक के पद घटेंगे।