बिहार के ‘चंपारण अहुना मटन’ का चख लीजिए स्वाद, इस डिश को मिलने जा रहा है GI Tag, यह भी लिट्टी चोखा की तरह है प्रसिद्ध

न्यूज डेस्क : भारत में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जिसने बिहार के लिट्टी-चोखा का स्वाद नहीं चखा होगा। लिट्टी-चोखा बिहार का एक फेमस फूड है। पर क्या आप जानते हैं जिस तरह बिहार में वेज पसंद करने वाले लोगों के बीच लिट्टी-चोखा काफी पसंद किया जाता है। ठीक उसी तरह लगभग पूरे भारत में नॉनवेज के शौकीन लोगों के बीच पश्चिम चंपारण जिले का “चंपारण मटन करी” फेमस है। इस डिश की खासियत यह है कि यह बनने में जितनी आसान होती है। खाने में भी उतनी ही टेस्टी भी होती है। वैसे खासतौर पर चंपारण मटन को भोजन के रूप में अहुना, हांडी व बटलोही मीट भी कहा जाता है।

अब वही ही चंपारण मटन को चंपारण जिला प्रशासन ने जीआई टैग किया है। जीआई टैग (GI Tag) मतलब होता है, उस उत्पाद की गुणवत्ता व उसकी विशेषता को दर्शाता है। अगर चंपारण मीट को जीआई टैग मिल जाता है तो चंपारण की मीट ढाबा, होटल के माध्यम से रोजगार दिलायेगा और लोगों के पलायन पर रोक लगेगी। आपको बता से की चंपारण जिलाधिकारी शीर्षत कपिल ने जीआई टैग के लिए 19 जुलाई को 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जो अपना प्रस्ताव प्रशासन के माध्यम से सरकार तक पहुंचायेगी। बिहार व देश के बड़े शहरों में भी चंपारण मीट (Champaran Meat) एक ब्रांड का रूप ले चुका है। जहां दुकानों पर कारीगर भले ही लोकल हो, लेकिन चंपारण बोर्ड मिल जायेगा।

अगर जीआई टैग मिलता है तो दुकानदारों, रेस्टोरेंट मालिकों, मीट शॉप दुकानदारों की कमायी बढ़ेगी और यहां के मीट के बारे में लोगों को समझाया जा सकेगा। बेहतर ढंग से मीट काटने, स्वच्छता का ध्यान रखने, पैकेजिंग करने व मांस के लिए स्वस्थ्य पशुओं का चयन करने आदि का भी प्रशिक्षण दिया जायेगा।