आखिर क्यों पार्टी ने काटा सुशील मोदी का पत्ता: इनसाइड स्टोरी

डेस्क: कहते है असीमित इच्छा ही मनुष्य के पतन का कारण बनती है , कुछ यही हुआ है बिहार भाजपा (Bihar BJP) में शक्ति के प्रतिष्ठान रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Sushil kumar Modi) के साथ। उन्हें भी आखिरकार बेदखल होना पड़ा अपने ही बनाये ख्वाहिसों के जाल के कारण। सुशील मोदी आलकमान के फैसले से नाखुश हैं ये साफ दिखाई पड़ रहा है कि उनके साथ बुरा हुआ है। वे खुश नहीं है क्योंकि उनसे कुछ छीन लिया गया है ये महसूस करके। तभी तो वे कहते फिर रहे हैं कि चाहे जो हो कार्यकर्ता का पद उनसे कोई नहीं छीन सकता।

पर मुद्दा ये है कि आखिर ऐसी क्या बात हुई कि सुशील मोदी का डिप्टी सीएम पद छिन गया? क्या वह भाजपा के विस्तार में रोड़ा अटका रहे थे? क्या वे सुशील मोदी ही है जिनकी वजह से नीतीश (Nitish kumar) के प्रभाव से भाजपा मुक्त नहीं हो पा रही थी? या फिर अंदर ही अंदर भाजपा के बिहार इकाई में उनके खिलाफ गहरा असंतोष पनप गया था? क्या ये बात सही है कि वे बिहार में किसी भी BJP नेता का कद बढ़ने नहीं दे रहे थे?

खेर बात जो भी हो पर इस बात से हर किसी को इत्तेफाक होगा कि सुशील मोदी बिहार भाजपा के बड़े नेता में शुमार है, पर गाहे-बगाहे ही सही उनपर निरंकुशता और मनमानी का आरोप यदा-कदा लगता ही रहा है। सुशील कुमार मोदी पर डॉ. सीपी ठाकुर और ताराकांत झा जैसे BJP के दिग्‍गज नेताओं को भी दरकिनार करने का आरोप लगता रहा है। पर कहते है न कि समय के चक्र से यहाँ कोई नहीं बच पाया है कुछ ऐसा ही इनदिनों देखने को मिल रहा है। कभी डॉ. सीपी ठाकुर और ताराकांत झा जैसे BJP के दिग्‍गज नेताओं को हाशिये पर लाने वाले मोदी को खुद ही दरकिनार होने का डर सताने लगा है।