रामविलास पासवान की पहली पत्नी से दो बेटियां आशा और उषा, लेकिन लोग जानते सिर्फ चिराग को.. 23 साल बाद तलाक देकर

डेस्क : रामविलास पासवान के मृत्यु के पश्चात लोजपा का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता दिख रहा है। बता दें कि इन दिनों चिराग पासवान और उनके चाचा पारस के बीच राजनीतिक कलह लगातार जारी है। और यह कब तक चलेगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया।

इसी बीच हम आपको बता दें कि रामविलास पासवान के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं कि उनकी दो शादियां हुई थी। उनकी पहली पत्नी आज भी बिहार के खगड़िया के उनके पैतृक आवास में रहती हैं। बता दें कि उन्होंने 1960 के दशक में पहली शादी राजकुमारी देवी से शादी की थी। लेकिन इस बात का खुलासा उन्होंने 2014 में किया। फिर उन्होंने यह बात का भी जिक्र किया कि 1981 में लोकसभा के नामांकन पत्र को चुनौती दिए जाने के बाद उन्होंने उन्हें तलाक दे दिया था। जबकि, उनकी पहली पत्नी से दो बेटियां, उषा और आशा हैं।

पहली पत्नी की बेटी का आरोप है : बता दें कि पहली पत्नी राजकुमारी देबी से जन्मी बेटी आशा पासवान ने पिछले वर्ष उनके देहावसान के बाद आरोप भी लगाया था। कि उनकी बीमारी के हालत में भी छोटी मम्मी ने षडयंत्र रचकर हमलोगों की मुलाकात उनसे नहीं होने दी। उन्होंने कहा हमलोगों ने हवाई जहाज का टिकट भी ले लिया था। लेकिन अंतिम समय में यह कहकर मना कर दिया कि अभी लॉकडाउन है। अभी यहां आने की कोई जरूरत नहीं है। आशा देवी कैमरे के सामने ही फूट फूट कर रोईं थीं।

रामविलास पासवान की बेटी आशा

दूसरी शादी कैसे हुई : 1983 में उन्होंने एयरहोस्टेस रीना शर्मा से शादी कर ली। जो की अमृतसर से पंजाबी हिंदू परिवार से हैं। उनका एक बेटा और एक बेटी है। दूसरी पत्नी की बेटा चिराग पासवान है। पहले चिराग अभिनेता थे। फिर नेता बने। रामविलास पासवान उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में शुरू किया और 1969 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद वे 1974 में लोक दल के गठन के बाद उसमें शामिल हो गए और इसके महासचिव बने। उन्होंने आपातकाल का विरोध किया। और इस अवधि के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने 1977 में हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी के सदस्य के रूप में लोकसभा में प्रवेश किया।

पार्टी के स्थापना के बाद कैसा रहा कैरियर : 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) बनाने के लिए पासवान जनता दल से अलग हो गए। 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद पासवान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। और उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री बनाया गया। फरवरी 2005 के बिहार राज्य चुनावों में पासवान की पार्टी एलजेपी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। परिणाम यह हुआ कि कोई भी विशेष दल या गठबंधन अपने आप सरकार नहीं बना सका। हालांकि, पासवान ने लालू यादव का समर्थन करने से लगातार इनकार किया। जिन पर उन्होंने बेहद भ्रष्ट होने या दक्षिणपंथी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का आरोप लगाया। जिससे गतिरोध पैदा हुआ। यह गतिरोध तब टूटा जब नीतीश कुमार पासवान की पार्टी के 12 सदस्यों को दोषमुक्त करने में सफल रहे।