लालू – नीतीश से पहले विधायक बन चुके थे रामविलास पासवान, लोकसभा चुनाव में अधिकतम मतों से जितने का बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड…

डेस्क / प्रिंस कुमार : 2020 विधानसभा चुनाव के बाद से ही बिहार कि विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरने के लिए विधानसभा में और सड़को पर लगातार अंदोलन कर रहीं हैं। इन सब में सबसे आगे तेजस्वी यादव का चेहरा है, लेकिन एक चेहरा ऐसा भी है जो विपक्षी खेमे से या यूं कहें राज्य की राजनीति से इस वक्त बिल्कुल गायब है। यह चेहरा हैं , दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के सुपुत्र और जमुई से सांसद चिराग पासवान।

इस वक्त चिराग बिहार की राजनीति से बिल्कुल गायब हैं , लेकिन जबतक रामविलास पासवान जिंदा थे वो किसी न किसी रूप में बिहार की राजनीति के लिए प्रासंगिक बने रहे थे। चाहे वो रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीतना हो या फिर कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री बनना ,रामविलास पासवान में ऐसी कई खूबियां थीं जो उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग करती थी। जनता के बीच जाने और उनका दुख दर्द सुनने की वजह से उनको बिहार में दलितों का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता था।

रिकॉर्ड मतों से जीतते थे चुनाव- रामविलास पासवान हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनावों में खड़ा होते थे। उन्होंने इस सीट से 2 बार सबसे ज्यादा मतों से चुनाव जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। रामविलास पासवान इमरजेंसी का दौरान जेल में रहने के बाद जब रिहा हुए , तो जनता पार्टी ने उन्हें 1977 के चुनाव में हाजीपुर से अपना उम्मीदवार बनाया। उन्होंने इस सीट से पहली बार ही रिकॉर्ड 4 लाख 24 हजार मतों से चुनाव जीता था।

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब चुनाव हुए तो वे यहाँ से चुनाव हार गए लेकिन ,1989 में उन्होंने अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ते हुए कांग्रेस के महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार 448 मतों से हराया। रामविलास पासवान 1977 से लेकर 2014 तक लगातार इसी सीट से चुनाव लड़े और 2 बार छोड़कर बाकी सभी समय उनको जीत भी मिली। 1984 और 2009 को छोड़कर उन्होंने 1977 ,1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 एवं 2014 में इस सीट से जीत दर्ज की।

6 प्रधानमंत्री के साथ किया काम- रामविलास पासवान के पास 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा अनुभव था। उन्होंने वी.पी.सिंह ,एचडी देवेगौड़ा , इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी , मनमोहन सिंह औऱ नरेन्द्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने 1989 में केन्द्रीय श्रम मंत्री ,1996 में रेल मंत्री ,1999 में संचार मंत्री ,2002 में कोयला मंत्री ,2004 में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री और 2014 एवं 2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई विपरीत विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ काम किया। उनकी इसी खूबी की वजह से लालू प्रसाद यादव उन्हें मजाकिया लहजे में मौसम वैज्ञानिक कहा करते थे।

लालू और नीतीश से पहले बन गए थे विधायक- रामविलास पासवान भले ही बिहार के मुख्यमंत्री ना बन सके, लेकिन वे लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों से पहले विधायक बन चुके थे। रामविलास पासवान पहली बार 1969 में विधायक बने थे, जबकि लालू यादव इसके 11 साल बाद 1980 में और नीतीश कुमार 1985 में विधायक बने। रामविलास पासवान इन दोनों नेताओं के विधानसभा पहुँचने से पहले सांसद बनकर लोकसभा भी पहुँच चुके थे। बिहार की राजनीति में दलितों के सबसे बड़े चेहरे रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में 8 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में निधन हो गया।