पटना बनेगा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखा सीएम नीतीश को पत्र, इन चीजों का होगा विस्तार

डेस्क : बिहार के पटना में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने की जो संभावना थी, उसकी गति तेज हो गई है। बतादें की उड्डयन मंत्रालय की ओर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए हवाई अड्डा को विकसित करने के हेतु 49.5 एकड़ भूमि की मांग बिहार सरकार से किया गया है। वहीं दरभंगा दरभंगा हवाई अड्डा से भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू की जानी है, जिसके लिए 75 एकड़ भूमि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मांगी है।

सहित पूर्णिया हवाई अड्डा को बड़ा करने हेतु 49 एकड़ और नेपाल बोर्ड पर स्थित रक्सौल में एक नया हवाई अड्डा बनाया जाएगा जिसके लिए करीब 123 एकड़ जमीन का इन्तेजाम के लिए मंत्रालय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है। बतादें कि बिहटा से अंतरराष्ट्रीय उड़ान आरंभ करने हेतु सरकार से 176 एकड़ और भूमि की मांग की जा चुकी है, इसमें से 119 एकड़ जमीन की व्यवस्था हो गई है। मालूम हो कि पर्याप्त जमीन प्राप्त होने के पश्चात पटना से सिंगापुर सहित दुबई और अरब देशों के लिए यहां से डायरेक्ट उड़ान शुरू हो जाएग। सूत्रों की माने तो पटना हवाई अड्डा हेतु और भी अधिक जमीन व्यवस्था हो जाए तो केवल 1-2 साल के भीतर ही अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा शुरू कर दी जाएंगी।

पटना जू की भूमि की आवश्यकता हवाई अड्डा प्राधिकरण के द्वारा एयरपोर्ट के बगल में स्थित जू की 7.5 एकड़ भूमि की मांग की गयी थी। बतादें कि जिन 13 एकड़ मिले अतिरिक्त जमीन में एटीसी कंट्रोल टावर एवं कारगो स्थल बनाया जा रहा है। वहीं रनवे को 6900 मीटर से बढ़ा कर 7000 मीटर कर दिया गया है। मालूम हो अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए रनवे की कुल लंबाई करीब 8400 मीटर होना आवश्यक है।

वायुसेना का रनवे किया जाएगा इस्तेमाल बिहटा हवाई अड्डे से भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें आरंभ करने के लिए तैयारी जोरों पर है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए हवाई अड्डा प्राधिकरण ने बिहार सरकार से लगभग 176 एकड़ और जमीन देने की मांग की थी। मालूम हो कि इस में से राज्य सरकार के द्वारा 119 एकड़ जमीन की व्यवस्था भी कर दी गई है। बिहटा में विमानों की लैंडिंग वायुसेना के रनवे पर होगी। वहीं दरभंगा हवाई अड्डा पर भी वायुसेना के रनवे का ही प्रियोग कर रहें हैं। दरभंगा एयरपोर्ट के रनवे के लिए भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के अनुसार बड़ा करने के लिए अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता है।