न्यूज डेस्क: राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र, पटना विश्वविद्यालय द्वारा 5 अक्टूबर मंगलवार को “डॉल्फिन दिवस” मनाया जा रहा है।इसी बीच आप लोगों को डॉल्फिन से जुड़े कुछ किस्से बताने जा रहे हैं, जिसे जान आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। यह बात से तो आप भली-भांति परिचित होंगे, की सबसे बुद्धिमान जल स्तनधारी में डॉल्फिन का नाम सबसे ऊपर आता है। लेकिन यह बात से भी आप लोग भली भांति परिचित होगे, की डॉल्फिन का धीरे-धीरे गंगा से मिटता जा रहा है।
बता दे की प्रत्येक वर्ष 5 अक्तूबर को डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1990 के दशक के बाद से यह दिन, दुनिया भर के लोगों द्वारा डॉल्फिन के शिकार के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। अगर गौर किया जाए तो बिहार के भागलपुर में एशिया का एकमात्र डॉल्फिन अभ्यारण्य है। जहां दूर-दूर से विदेशी पर्यटक इसको देखने ले लिए आते हैं, लेकिन हमेशा इनपर खतरा मंडराता रहा है। इस बात से हमेशा डर रहता है, की कभी कोई शिकारी इन बेजुबानो को खत्म न कर दे।
दूर- दूर से आते हैं पर्यटक:
बिहार के भागलपूर में 60 किलोमीटर की गंगा नदी में अभी 250 के आसपास डॉल्फिन है। पर्यटक सुलतानगंज जहांगीरा से कहलगांव बट्टेश्वर स्थान के बीच डॉल्फिन आसानी से देख सकते है। लोगों में इन डॉल्फिन के प्रति स्नेह आये, व लोग इनको लेकर जागरूक हो इसके लिए बिहार सरकार लगातार कार्य करती रहती है। इन डॉल्फिन को स्थानीय लोगो ने सोंस नाम दिया है, वही वन विभाग ने इसे मुस्कान नाम दिया है।
बीते हुए वर्षों से यह तो स्पष्ट है कि जब भी मनुष्य किसी प्राकृतिक आवास, चाहे वह वन हो या जल निकाय के साथ हस्तक्षेप करते हैं, तो उनके परिणाम संदिग्ध हुए हैं। मनुष्यों द्वारा की गई लापरवाही और हानिकारक कार्य, डॉल्फिन के लिए अपरिवर्तनीय खतरा पैदा कर रहे हैं। इन बेजुबान जल निकायों के लिए राज्य सरकार काम करती ही रहती हैं पर फिर भी इन जीवों के शिकार हो जाने का डर हमेशा बना रहता है।