न्यूज डेस्क : राज्य सरकार ने पंचायतों में लोगों को अत्यधिक सुविधाएं पहुंचाने के लिए जिले के विभिन्न पंचायतों में आरटीपीएस (RTPS) काउंटर खोलने की घोषणा की थी। जिससे लोग प्रखंड मुख्यालय की वजह अपने पंचायतों में ही आरटीपीएस के तहत नि:शुल्क जाति, आय एवं आवासीय प्रमाणपत्र ले सकते थे।
लेकिन, यह योजना बिहार में कितना प्रतिशत सफल हुआ। इस बात का खुलासा BJP विधायक नारायण प्रसाद ने की। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। उन्होंने कहा “बिहार के लगभग 5 हज़ार पंचायतों में बने आरटीपीएस (RTPS) काउंटर से पिछले 3 वर्षों में एक भी प्रमाण पत्र नहीं बना है। सरकार ने तीन साल पहले ही इस योजना की शुरुआत की थी। जिसके तहत लोगों को जाति प्रमाण पत्र, आवासीय सहित अन्य प्रमाण पत्र बनाने के लिए कहीं और जाने की जरूरत होगी। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस योजना की शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी है।”
लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी: शिकायत के बाद पंचायती राज विभाग ने सूबे के सभी जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। साथ ही लापरवाह पदाधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी में है। 15 अगस्त 2021 तक सभी बने हुए पंचायत भवन में आरटीपीएस काउंटर खोलने की तैयारी की जा रही है। मंत्री सम्राट चौधरी का कहना है कि “किसी भी कीमत पर 15 अगस्त से यह सुविधा शुरू हो जाएगी। यदि RTPS काउंटर नहीं खुलता है और कुछ गड़बड़ी होती है तो वैसे अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। आरटीपीएस काउंटर खोलने के लिए सभी पंचायतों में कर्मचारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है
सभी डीएम को पत्र लिखा गया: बताते चलें कि पंचायती राज विभाग ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। पंचायती राज विभाग द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि “इस संबंध में विधायक नारायण प्रसाद द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया था। जिसमे कहा गया कि आज तक एक भी पंचायत भवन से लोगों को यह सुविधा नहीं मिल रही। जबकि वहां कार्यपालक सहायकों की तैनाती भी हो चुकी है। इतना समय बीत जाने के बाद भी पूरे बिहार में एक भी प्रमाण-पत्र निर्गत क्यों नहीं किया गया। जबकि आरटीपीएस केंद्र के संचालन में लाखों रुपए हर महीने खर्च किए जा रहे हैं। पूरे मामले में DM से कहा गया है कि जल्द इस व्यवस्था को शुरू की जाए।