बिहार की अजीबोगरीब घटना, 20 वर्ष पहले बिछड़ गए थे मां-बेटे, अब मिले भी तो ऐसा कि सबको आ गया रोना

न्यूज डेस्क : माता पिता के लिए संतान कितना अहम होता है यह बात बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन, बच्चे मां बाप को कितना अहमियत देते हैं यह बात भी समझने की जरूरत है। कुछ इसी प्रकार का मामला बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत करगहर प्रखंड के गोगहरा गांव में एक से आया है। जहां, 12 वर्ष की आयु बेटा अपने मां से बिछड़ गया। मां बेटे की वियोग में तड़प तड़प कर रोती रही, लेकिन बेटा नहीं मिल पाया। फिर, वही बेटा जब 22 वर्षों बाद अपने माता से योगी के रूप में भिक्षा मांगने दरवाजे पर पहुंचता है तो मां देखते ही बेहोश हो जाती है। यह दृश्य देख आसपास के लोग भी वहां जुट गए। गांव में तुरंत यह खबर फैल गई शंभू भगत योगी बनकर मां से भिक्षा मांगने आया है। योगी के सहपाठियों ने भी उन्हें पहचान कर कहा यह स्व. व्यास भगत के पुत्र शंभू भगत ही हैं।

12 वर्ष की अवस्था में ही गांव से भटक गया जानकारी के मुताबिक, गांव के एसएन कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष अमित कुमार पटेल ने बताया कि वर्ष 2000 में 12 वर्ष की अवस्था में शंभू भगत भटकते हुए कहीं चला गया। किसी तरह वह गोरखपुर पीठ पहुंच गए। जहां पीठाधीश के आशीर्वाद से दिमागी हालत बिल्कुल ठीक हो गई। सात-आठ वर्षों तक उन्हें गो सेवा में रखा गया। इसके बाद परंपरा के अनुसार सारंगी प्रदान की गई।

दरवाजे पर पहुंचते ही मां ने पहचान लिया: बता दें कि शंभू गांव-गांव घूम घूमकर भिक्षा मांगना शुरू कर दिए। भिक्षाटन के एक साल बाद वे कुदरा प्रखंड के केवढी़ गांव पहुंचे थे। जहां एक महिला ने उन्हें पहचान लिया। इसकी सूचना उसने अपने मायके में दी। तबतक योगी वहां से चले गए थे। फिर 12 वर्ष पूरा होने के बाद अंतिम भिक्षा मांगने के लिए अपनी मां के दरवाजा पहुंचे। भिक्षा मांगने की आवाज पर मां जैसे ही दरवाजा पर निकली, उसने अपने पुत्र शंभू को पहचान लिया।

मां बिलख बिलख कर पूछी – बेटा तुम इतने दिनों से कहां थे : बता दें कि जैसे ही शंभू योगी के रूप में अपनी मम्मी से अंतिम भिक्षा लेने पहुंची। वैसे ही उसकी मां ने उसे पहचान लिया और दरवाजे पर मूर्छित होकर गिर पड़े। होश आने पर मां आंसू भरे नेत्रों से कह उठी, पूछ -” बेटा तू कहां थे तुझे खोजते खोजते आंख पथरा गई” योगी की आंखों में भी आंसू छलक पड़े। उसने विवश होकर सारी कहानी सुनाई। योगी के भाई दुलार भगत एवं गनपत भगत ने भी बात की। वह भी अपने भाई व सहपाठियों को पहचान नाम बताने लगे। फिर 3 दिन गांव में रहने के बाद भिक्षा लेकर वहां से रवाना हो गए। शंभू ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी तपस्या पूरी होने के बाद यज्ञ कराने के लिए वे अपने मठाधीश के साथ जन्मभूमि पर अवश्य आएंगे।