नियोजन नियमावली के विपरीत है STET का मेधा सूची, भारतीय शिक्षण मंडल ने जताई आपत्ति,कहा अदूरदर्शी निर्णय

न्यूज डेस्क : बिहार राज्य में सायद ही कोई परीक्षा और परीक्षा फल हो जिस पर सवालिया निशान न लगता हो। हाल ही में जारी किये गए तीन विषयो की परीक्षाफल के बाद नया मामला तूल पकड़ने लगा है। बताते चलें कि बिहार सरकार ने हाई स्कूलों में नियोजन के लिए बिहार जिला परिषद/नगर निकाय नियोजन एवं सेवा शर्त नियमावली2020को अधिसूचित किया। भारतीय शिक्षण मण्डल के अविनाश कुमार और मिलन कुमार ने बताया कि नियमावली के कंडिका के अनुसार हाई स्कूल में शिक्षक हेतु आवश्यक अहर्ता “बिहार सरकार द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होना चाहिए”।

ध्यातव्य हो कि सिर्फ उतीर्ण होना अंकित है उसमें प्राप्त अंक की अहमियत नहीं है, क्योंकि उसी नियमावली की कंडिका 10 (4) में मेधा अंक के बारे में स्पष्ट है कि अभ्यथी का स्नातक का प्राप्तांक प्रतिशत प्लस B. Ed का प्राप्तांक ÷ 2 ही मेधा अंक होगा अर्थात पात्रता परीक्षा के प्राप्तांक मेधा अंक में शामिल ही नहीं होगा।अब सरकार जब पात्रता परीक्षा के अंक को ही मेधा अंक बनाकर कथित रूप से सीट भर ही रिजल्ट जारी करने की बात कह रही है तो इसका मतलब अब सिर्फ स्नातक और B.Ed किसी तरह पास होना चाहिए । उसके अंक का कोई औचित्य नहीं रह पाएगा जो नियमावली के विपरीत होगा।नियमावली अनुसार वे सभी लोग आवेदन के योग्य हैं जो पात्रता परीक्षा उतीर्ण(qualified) होंगें,जिन्हें अब मेरिट लिस्ट के नाम पर आवेदन प्रक्रिया में शामिल नहीं होने दिया जाएगा तो स्वभाविक रूप से यह मामला माननीय न्यायालय में होगा जो हाई कोर्ट के सिंगल बेंच से हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट तक जाए तबतक तो चुनाव आ ही जाएगा , और इस तरह नहीं नियोजन हो पाएगा और न ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।महीनों पहले प्रकाशित परीक्षाफल में जो लोग उतीर्ण घोषित किए गए थे और जिन्हें नियोजन का पक्का भरोसा हो गया था । क्योंकि सरकार द्वारा उस समय भी कहा गया था कि उपलब्ध रिक्तियों के अनुरूप ही परीक्षाफल घोषित किया गया है , और इस आधार पर उसी अनुरूप कई अभ्यर्थियों का तो अच्छे परिवारों में शादी संबंध और मिठाई बंट गया था उन्हें सरकार की अदूरदर्शिता पूर्ण नीति के कारण एक झटके में उतीर्ण से अयोग्य करार दिया गया और उनके सपने चकनाचूर हो गए लोग अर्श से फर्श पर आ गए।अतः सरकार को अपने निर्णय पर शिक्षा और जनहित में पुर्नविचार करना चाहिए और सीटों की संख्या को बढ़ाकर सभी क्वालिफाइड उम्मीदवारों को नियोजन प्रक्रिया में शामिल कर करना चाहिए जो नियमावली के अनुरूप होगा और यह मामला न्यायालय में जाकर लटकेगा नहीं और नियोजन भी समय पूर्ण हो ।