मिलिए ऑटो चालक की होनहार बेटी सोनाली से जिसने बिहार बोर्ड में किया टॉप , फ़ीस भरने के लिए माँ ने बेच दिए थे गहने

डेस्क : अब वह जमाना गया जब घर की बेटियां घर में रहा करती थी। अब तो जमाना लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं करता है, लड़कियां अब कंधे से कंधा मिलाकर समाज में चलती है। हाल ही में बिहार राज्य में बारहवीं कक्षा के नतीजे आए और इन नतीजों से यह साफ हो गया कि अब सूबे की लड़कियों में अत्यंत मेहनत करने की चाह कूट कूट कर भरी हुई है। यह मेहनत बिहार राज्य के 12वीं कक्षा के नतीजों में साफ दिख रही है। बता दें कि इस बार बिहार की बेटियों ने बाजी मारी है। बीते वर्ष से ज्यादा इस वर्ष परीक्षाओं में लड़कियां उत्तीर्ण हुई है। आज हम आपको एक ऐसी ही मेधावी छात्रा के बारे में बताने वाले हैं जिसका नाम कल्पना कुमारी है। कल्पना कुमारी ने विज्ञान विषय में चौथा स्थान प्राप्त किया है।

जबसे उसका परिणाम आया है तब से घर परिवार और मोहल्ले वाले बेहद खुश हैं, जब उसका परिणाम आया तो सभी लोग उसके घर पर जाकर बधाई देने लगे। कल्पना कुमारी कहती हैं कि यह दिन उनकी पूरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन दिन है। लेकिन कल्पना कुमारी के लिए यह कर पाना इतना आसान नहीं था आखिर उनके परिवार में आर्थिक तंगी बनी रहती है। इस आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार का पेट उनके पिताजी ऑटो चला कर पालते हैं, वह बिहार और नेपाल के बॉर्डर में स्थित नगर रक्सौल परिषद वार्ड 22 के शिवपुरी मोहल्ला के टूटे-फूटे कच्चे घर में रहती हैं। कल्पना ने जब दसवीं पास की थी तो उनके 80% अंक आए थे। वह तब से लेकर आज तक बस यही सोचती थी कि किसी तरह उनको ज्यादा से ज्यादा नंबर मिले लेकिन वह यह सोचती ही नहीं थी बल्कि इसके लिए दिन और रात प्रयास भी करती थी। कल्पना के बड़े भाई एयरफोर्स की तैयारी कर रहे हैं और कल्पना की एक बहन है जिसका नाम अर्चना कुमारी है।

कल्पना की माताजी ने कल्पना को पढ़ाने के लिए अपने गहने भी बेच दिए थे। ऐसे में कल्पना बताती हैं कि उनके परिवार ने काफी संघर्ष किए हैं ताकि वह पढ़ लिख कर घरवालों का नाम रोशन कर सकें। कल्पना ने अपने घर वालों की बात को सच साबित कर दिखाया है। कल्पना से पूछा गया कि वह भविष्य में क्या करना चाहती हैं तो उन्होंने कहा कि वह सबसे पहले अपनी स्नातक डिग्री हासिल करेंगी और उसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगी। बता दें कि लॉकडाउन के बाद उन्हें काफी परेशानी हुई थी, लेकिन जब दोबारा से स्कूल खुल गए तो उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ मेहनत करनी शुरू कर दी। पढ़ाई करने के लिए उनके घर वाले हमेशा से ही उनको प्रोत्साहित करते रहे हैं। वह कहते हैं कि हमारे परिवार में कभी लड़कियों में भेदभाव नहीं किया जाता है।