बिहार के कई जिले बाढ़ से हैं बेहाल, मचान पर जिंदगी गुजारने को मजबूर है ग्रामीण

डेस्क : बिहार में कोरोना के साथ-साथ बाढ़ का कहर भी लोग झेलने को मजबूर हो गए हैं. बिहार के कई जिलों में बाढ़ से लोग बेहाल हैं. कोसी नदी में आई बाढ़ के कारण सैकड़ों गांव के लोगों को अपने घर को छोड़कर कैंप में रहना पड़ रहा है. कई लोग अभी गांव में फंसे हैं और मचान पर जिंदगी गुजर कर रहे हैं। कोसी नदी उफान पर है मधेपुरा का रतवारा गांव पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है. बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है इस वजह से रतवारा समेत सैकड़ों गांव का पूरा इलाका जलमग्न हो गया है, सैकड़ों ग्रामीणों को अपना घर छोड़कर कैंप में रहना पड़ रहा है वहीं कई लोग गांव में भी फंसे हुए हैं और मचान में बैठकर गुजर कर रहे हैं। रतवारा गांव में करीब डेढ़ सौ से अधिक लोग मचान पर बैठकर जिंदगी गुजार रहे हैं इस कैंप को भी एक संस्था ने बनाया है।

रतवारा गांव के ग्रामीणों का क्या है आरोप इस गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है ना तो विधायक, ना सांसद, ना मुखिया की ओर से ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ले रहा है। कोसी नदी में बढ़ रहे जलस्तर से आशंका है कि रतवारा गांव पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है इन जिलों में कोरोना और बाढ़ का प्रकोप जारी है।बिहार के 38 जिलों में से पटना, भागलपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा, सिवान में कोरोना का कहर है तो मधेपुरा, गोपालगंज, पशमी चंपारण, दरभंगा, खगड़िया, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जिलों में बाढ़ का कहर जारी है। कई ग्रामीणों का घर उजाड़ दिया है ग्रामीण काफी परेशान हो गए हैं और मचान पर बैठकर जिंदगी बसर करने पर मजबूर हो गए हैं।

ग्रामीणों ने कहा कोरोना हमारा क्या कर लेगा मुजफ्फरपुर के बेनीपुर गांव के लोग बागमती नदी में आई बाढ़ से अपने घरों को छोड़कर बांध पर शरण लिए हुए हैं इन्हें ना तो खाने की चिंता है ना ही कोरोना से संक्रमित होने का भय । ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना हमारा क्या कर लेगा? हम लोग हर साल मरते हैं,कोरोना तो इस साल है कुछ दिनों में चला जाएगा लेकिन बाढ़ का क्या? सरकार भले ही लोगों को राहत देने की बात करती हो लेकिन इनके सबकुछ तबाह होने का अफसोस इनके चेहरे पर साफ झलकता है।