हर बिहारी के दिल को आता है रास लिट्टी चोखा- जाने क्या है खासियत

बिहार में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला व्यंजन है लिट्टी चोखा। इस व्यंजन ने बिहार और बिहार से बाहर भी अपनी धाक कसकर जमा रखी है, विदेशी लोग भी इसके भरपूर दीवाने हैं। लिट्टी के दीवाने लोगो को जैसे ही बैंगन और टमाटर में आलू गूंथ हुआ दिखता है तो लोगों की लार टपक जाती है। यह लिट्टी चोखा पूरे बिहार, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, दिल्ली, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वर्ल्ड फेमस हो चुका है, लोग इसके स्वाद के दीवाने बनते जा रहे है।

कहाँ से हुई लिट्टी चोखे की शुरआत

चन्द्रगुप्त मौर्य के दौर में इसको सैनिक लोग खाते थे और डटकर दुश्मन का सामना करते थे। सैनिकों को यह इसलिए दिया जाता था क्योंकि उस समय यह निश्चित नही होता था कि जंग के मैदानों में कितना समय लग सकता है इसलिए लिट्टी का उपयोग करते थे क्योंकि वह 6-7 दिन खराब नहीं होती थी। चने का सत्तू इसमे भरपूर मात्रा में पौष्टिक आहार प्रदान करता है। परंतु अब इसको खाने के तरीके बदल गयें है। लोग आजकल अभी भी सड़क किनारे 20 रुपये में लगने वाली ठेलिया का लिट्टी चोखा खूब शौंक के साथ खाते है चाहे वह कितने भी ऊँचे दर्जे के हो।

इसमें तेज़ मसाले का प्रयोग नहीं करा जाता है, जिससे यह सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। दरअसल, जो मसाला होता है वह सत्तू में ही डाल दिया जाता है वह भी कम मात्रा में जैसे अजवाइन, कालीमिर्च, मंगरौल, काली मिर्च, बारीक कटा लहसुन, अदरक एवं धनिया।

कब बढ़ता है इसका स्वाद और निखरता है रंग।

आजकल लोग इसको गैस के चूल्हे पर बनाते हैं या तो कोयले की आंच पर सकतें है ।
इसका असली स्वाद और रंग अंगीठी की धीमी आंच पर रखकर ही आता है।
इसके साथ साथ बैंगन और टमाटर को भो आपको अँगीठी पर ही बनाना होगा, बैंगन को पकने के दौरान इसमें कुछ न करें बल्कि लहसुन की कलियों को पहले ही इसमें भर लें और उसके बाद पकाएं। इस तरीके से आपको लिट्टी चोखे का शुद्ध देसी स्वाद मिलेगा। जितना हो सकें इसको पकने के समय दें ताकि रंग आने में कमी न रहे।