नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और नवनियुक्त विधानसभाध्यक्ष विजय सिन्हा में ठनी – मर्जी से बना देंगे अध्‍यक्ष

डेस्क : जब से बिहार विधानसभा चुनाव 2020 हुए है तब से बिहार में आये दिन कुछ न कुछ होता ही रहता है। अब एक बड़ी खबर बिहार के सियासी गलियारे से आ रही है। खबर यह है कि विधानसभा (Bihar Legislative Assembly) में समितियों के गठन मामले में अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और विधानसभाध्यक्ष विजय सिन्हा (Assembly Speaker Vijay Sinha) एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं। तेजस्वी ने स्पीकर को पत्र लिखकर परंपरा का हवाला देते हुए कहा है कि पहले उन समितियों के नाम भेजे जाएं जिनका सभापति आरजेडी के सदस्य को बनाया जाएगा। तेजस्वी ने कहा है कि पहले से यही परंपरा चली आ रही है।

मालूम हो कि विधानसभाध्यक्ष ने कई समितियों के गठन में विपक्ष के सदस्यों की भागीदारी के लिए नाम भेजने को लेकर नेता प्रतिपक्ष को दो बार पत्र भेजा था।जानकारी तो यह भी मिली है कि बीते 9 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अधिकारियों की बैठक में समितियों के गठन के बारे जानकारी ली तो बताया गया कि राजद छोड़ सभी दलों से नाम आ गए हैं। इसके बाद ये तय हुआ कि नाम भेजने के लिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को एक और पत्र लिखा जाए। उसके बाद भी नाम नहीं आता है तो विधानसभा अध्यक्ष अपने विवेक से सभापतियों के नाम तय कर देंगे। ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में है।

वहीँ विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि पहले विधानसभा अध्यक्ष राजद को दी जाने वाली समितियों का नाम भेजें। उसके बाद राजद इन समितियों के सभापति पद के लिए अपने विधायकों का नाम भेजेगा। तेजस्वी ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष (स्‍पीकर) के नाम लिखे पत्र में कहा कि उनके कार्यालय से बार-बार राजद को दी जाने वाली समितियों का नाम मांंगा जा रहा है। अब तक नाम नहीं मिल सका है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में दो दर्जन से ज्यादा ऐसी समितियां हैं, जिसके सदस्य विधानसभा के सत्ताधारी दल के विधायक और विपक्ष के विधायकों को मिलाकर बनाया जाता है। समितियों का गठन नहीं होने के कारण उन तमाम समितियों के वैधानिक कार्य अधर में लटके हुए हैं। लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, नियमन समिति, विशेषाधिकार समिति, पुस्तकालय समिति जैसे दो दर्जन से ज्यादा समितियां विधानसभा में काम करती हैं।

सदस्य संख्या के हिसाब से राजद को पांच या 6 समितियों की अध्‍यक्षता मिल सकती है। पिछली विधानसभा में राजद कोटे के सभापतियों की संख्या 6 थी। दरअसल, बिहार विधानसभा में कई ऐसी समितियां हैं, जिसके अध्यक्ष उसके सदस्य या फिर विपक्ष के नेता ही होते हैं। इसलिए विपक्ष के नेताओं का नाम आना जरूरी है। ऐसे में तेजस्वी यादव द्वारा नाम न भेजे जाने से समितियों का गठन ही अटका पड़ा हुआ है।