न्यूज़ डेस्क: बिहार में जमीन खरीद ने की सोच रहे हैं तो आपके लिए काम की खबर है। प्रदेश में जमीन की कीमत बढ़ सकती है। अब जमीन रजिस्ट्री के वक्त रजिस्ट्री शुल्क अधिक देना होगा। यह सब मिनिमम वैल्यू रेट (MVR) बढ़ने की वजह से होगा। जमीन के न्यूनतम मूल्य दर में इस बदलाव को लेकर जिला मूल्यांकन समितियों ने मद्यनिषेध उत्पाद एवं पंजीयन विभाग को प्रस्ताव भेजा है।
विभागीय अधिकारी इसकी समीक्षा में लगे हैं। जिसके बाद विस्तृत समीक्षा के बाद प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया जाएगा। संशोधित एमवीआर को सरकार की मंजूरी मिलते ही एक अप्रैल से लागू किया जा सकता है। एमवीआर भूमि का न्यूनतम निश्चित मूल्य है, जिसके आधार पर इसकी बिक्री और खरीद पर रजिस्ट्री शुल्क लिया जाता है।
इसके लिए जिलों की राय ली जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार का पंजीयन विभाग होमवर्क में जुटा है। राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही जिला स्तर पर एमवीआर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उसके बाद बढ़ी हुई दरों के आधार पर लोगों को रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी। अगर किसी रैयत की जमीन सरकारी परियोजना के लिए अधिग्रहित की जाती है, तो उस रैयत को एमवीआर के तहत मुआवजे के रूप में जमीन का मूल्य दिया जाएगा। इसके लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखा जाता है।
क्या है MVR : एमवीआर यानी न्यूनतम मूल्य दर वह दर है जिसे सरकार किसी जमीन की न्यूनतम कीमत मानती है। एमवीआर किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष प्रकार की भूमि की खरीद और बिक्री में पाए जाने वाले औसत बाजार मूल्य के आसपास तय होता है। संबंधित जिलों के जिलाधिकारी इसकी सूचना देते हैं।
अधिसूचित होने के बाद, सरकार उस विशेष प्रकार की भूमि को भूमि रजिस्ट्री में समान मूल्य मानती है। उसी के आधार पर जमीन बेचने वाले या खरीदने वाले को रजिस्ट्रेशन फीस तय करनी होती है। अगर कोई एमवीआर से कम कीमत पर जमीन खरीदता है तो उसे एमवीआर के तहत ही रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी।