बिहार में भी श्रम कानून में हो सकता है बदलाव

डेस्क :पिछले दिनों देश के कई राज्यों में श्रम कानून में संसोधन के बाद अब बिहार सरकार भी श्रम कानून में संसोधन कर उसे बदलने की तैयारी में है। आर्थिक संकट से निपटने के लिए कई राज्यों की सरकार ने इस कानून में बदलाव किया है। इस नए नियम के तहत अब अगले 3 साल तक कार्य अवधि 8 घंटे से बढ़ा कर 12 घंटे तक कर दिया गया है। यानि एक मजदूर से सप्ताह में 72 घंटे काम कराया जायेगा। 6 घंटे काम करने के बाद मजदूरों को 30 मिनट का ब्रेक भी मिलेगा। अब उद्दोग पंजीकरण की ऑनलाइन प्रक्रिया 30 दिन के बदले 1 दिन में ही पूरी होगी। बता दें कि विभाग ने नए कानून का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। और जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी भी मिल जायेगी।

क्या है कानून : नए कानून के मुताबिक 50 से कम श्रमिक वाले कारखाने श्रम कानून के दायरे से बाहर रखे जायेगें । फिलहाल 20 से अधिक श्रमिक वाले उद्दोग इस दायरे में हैं। साथ ही तीन साल तक लेबर इंस्पेक्टर किसी भी कारखाने का निरीक्षण नहीं कर सकेगें। नए कानून के मुताबिक, ट्रेड यूनियन को मान्यता देने का पहले का कानून भी खत्म हो जायेगा। अद्दोगिक विवादों का निबटारा,व्यवसायिक सुरक्षा, श्रमिकों की सेहत व काम करने की स्थिति , मुआवजे संबंधित कानून समाप्त हो जायेगें। श्रमिकों की कार्यवाई में श्रम विभाग और श्रम न्यायालय का दखल भी नहीं होगा।

हालंकि इस नए कानून को लेकर कई मजदूर संगठनों ने इंटरनेशनल लेबर ऑरगेनाइजेशन जाने की चेतावनी भी दी है।वहीं बिहार में कानून लागू होने से पहले मजदूर संघ ने विरोध दर्ज करवाई है, राज्य के अलग अलग जिले सहित बेगुसराय में भी विरोध के स्वर तेज हो गए हैं, बुधवार को नावकोठी में भाकपा माले के कार्यकर्ता ने एक दिवसीय धरना भी दिया है। इनका कहना है कि सरकार कॉरपोरेट घरानों के इशारों पर ऐसी अमानवीय संसोधन कर रही है। उन्होनें कहा कि इस कानून से मजदूरों का शोषण किया जा रहा है।