बिहार में थानेदार , राजस्व कर्मचारी और इंजीनियर लेते हैं सबसे ज्यादा घुस , जानिए कैसे हुआ खुलासा और कौन कौन लेते हैं चढ़ावा

न्यूज डेस्क : सरकारी विभाग में कार्य कर रहे सभी कर्मचारी पढ़े लिखे और कठिन प्रतियोगी परीक्षा पास कर के आतें हैं। परंतु विडंबना यह है कि पढ़ाई के दौरान ईमानदारी का पाठ पढ़ने वाले ये लोग कार्यभार संभालते ही अपना मन बदल लेते हैं। हैरानी की बात है कि चाहे कोई भी बिभाग हो रिश्वत लेना परंपरा सा हो गया है।

इसी कड़ी में रिश्वत लेने में लिपिक (Clerk) राजस्व कर्मचारी (revenue staff) अभियंता (इंजीनियर) और थानेदार सबसे टॉप हैं। दरअसल, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (surveillance investigation bureau) की तरफ से इस साल के शुरुआत से लेकर अब तक की गई कार्रवाई में अधिकतर केस इसी पदों के कर्मचारियों और ऑफिसर्स निगरानी के केस में आरोपी पाए गए हैं। बतादें कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस वर्ष 1 जनवरी से 18 अगस्त तक के बीच कुल 23 मामलों में ट्रैप केस के द्वारा कार्रवाई की गई है। जिसमे करों 6 कर्मचारी व अधिकारी केवल क्लर्क ही हैं। साथ ही 3 पुलिस अफसर , 3 राजस्व कर्मचारी ( revenue staff ) सहित 5 के करीब अलग अलग स्तर के सरकारी इंजीनियर पर घुस लेने के जुर्म में कार्रवाई हुइ है।

इस वर्ष ज्यादा मामले आए रिश्वत लेने के पिछले वर्ष के मुताबिक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल घुस के मामले पिछले साल के अपेक्षा में बहुत ज्यादा हुएं हैं। बतादें कि रिपोर्ट के हिसाब से इस साल में 18 अगस्त तक घुस के कुल 23 मामला में ट्रैप केस के द्वारा से कार्रवाई की हुई। इसमें पूरे 12 लाख 28 हजार 300 घुस की रुपये रिश्वत लेने के वक्त ही धर दबोच लिया गया। वहीं बात करें पिछले साल की तो जनबरी से दिसंबर महीने के बीच कुल 22 केस ट्रैप केस के द्वारा धरे गए थे। इस बीच 12 लाख 15500 ररुपये मौके पर ही पकड़ लिए गए थे।

मुखिया भी रिश्वत लेने में नहीं है पीछे सरकारी दफ्तरों में काम करने के अलावा मुखिया, वार्ड, पंचायत समिति जैसे कई अन्य जनप्रतिनिधि भी घुस लेने में पिछे नहीं है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो रिपोर्ट कहती है कि इस साल बेगूसराय जिले के मुखिया मनोज कुमार चौधरी को 10000 रिश्वत लेते मौके पर ही पकड़ लिया गया था, मनोज कुमार चौधरी मैदा बभनगामा पंचायत के मुखिया थे। बतादें कि पिछले साल 4 से ज्यादा मुखिया को इस मामले में धर दबोचा गया था। अन्य पंचायत के प्रतिनिधि भी दूध के धुले नहीं हैं। सभी पंचायत का रिश्वत के मामले में एक ही हाल है।