नवनिर्वाचित बिहार विधानसभा स्‍पीकर श्री विजय सिन्हा ने आखिर कैसे हासिल किया ये मुकाम…

डेस्क : 17वी बिहार विधानसभा का सत्र अपने आप में बेहद खास है। इस बार पहली बार भाजपा का स्‍पीकर बना है। हालाँकि, भारी हंगामा मचा, सत्र को 5 मिनट के लिए स्थगित भी करना पड़ा पर इन सब बावजूद राजद को पटखनी दे आख़िरकार विजय सिन्हा ने यह मुकाम हासिल कर ही लिया।विजय सिन्‍हा लगातार तीसरी बार लखीसराय से चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचे हैं। उन्‍होंने एनडीए उम्‍मीदवार के तौर पर 126 मत पाकर महागठबंधन उम्‍मीदवार अवध बिहारी सिंह को हरा दिया।

बिहार का 17वी विधानसभा सत्र 2020 कई मायनो में खास है क्योंकि इससे पहले कभी भी भाजपा का स्‍पीकर नहीं बना था। कित्नु विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा के जबरदस्‍त प्रदर्शन ने इस बार स्‍पीकर की कुर्सी बिन मांगे ही उसकी झोली में डाल दी। भाजपा के पहले स्‍पीकर के तौर पर कार्यभार सम्‍भालने वाले विजय सिन्‍हा ने 2015 के चुनाव में राजद और जद यू के संयुक्‍त उम्‍मीदवार रामानंद मंडल को चुनाव हराकर जीत हासिल की थी। इस बार विजय सिन्‍हा के सामने महागठबंधन उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस के अमरेश कुमार थे। अमरेश कुमार को विजय सिन्हा ने 10 हजार से मतों के अंतर से चुनाव हराया।

विजय सिन्‍हा का जन्‍म 5 जून 1967 को हुआ था। उन्होंने बेगूसराय के सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग 1989 में डिप्‍लोमा किया था। नीतीश कुमार की पिछली सरकार में वह श्रम संसाधन मंत्री थे। राज्य में भाजपा के प्रवक्ता होने के अलावा विजय सिन्‍हा संगठन में भी कई स्तरों पर काम कर चुके हैं। उधर, विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी रहे अवध बिहारी चौधरी सीवान से पांचवी बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं।

उन्होंने पूर्व सांसद और भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश यादव को हराया। वह सर्वप्रथम 1985 में चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी से जीते थे। वर्ष 1990 और 1995 में वे जनता दल के टिकट पर जीते और लालू सरकार में मंत्री बने। वर्ष 2000 में राजद प्रत्याशी के रूप में जीते। वे 1990 से 2005 तक लालू और राबड़ी सरकार में मंत्री रहे। वर्ष 2005 का चुनाव हार गए। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पूर्व वे जदयू में चले गए और 2017 में फिर राजद में वापसी की। तब उन्हें राजद के प्रदेश संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। वह अभी भी इस पद पर हैं।