बिहार के 4 हजार दूध उत्पादकों को डेयरी फार्मिंग सिखाएगी सरकार, मिलेंगे शानदार फायदे, जल्दी आवेदन करें..

न्यूज़ डेस्क: राज्य में दूध उत्पादन में बढ़ोतरी को लेकर सरकार द्वारा 4 हजार से अधिक पशुपालन करने वालों को डेयरी फार्मिंग करने का तौर तरीका सिखाने वाली हैं। साथ ही पशुपालन व मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों को डेयरी पशु प्रबंधन में प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम रखा गया है। मालूम, हो कि पीपीपी के आधार पर प्रशिक्षण की व्यवस्था तय की गई है। इसके तहत एक निजी एजेंसी का चयन किया गया है। देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों से पशुपालकों को प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है। विभाग इस संबंध में करीब 2.72 करोड़ रुपये लगाने वाली है। प्रदेश में पहली बार प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।

ऐसी चयन किया जाएगा: बता दें कि डेयरी किसान का चयन ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न नियोजन, नस्ल की पहचान, रख-रखाव, आहार और पशु रोगों की रोकथाम से जुड़े जानकारी प्रदान की जाएगी। यह भी तय किया गया है कि किस जिले से कितने पशुपालकों को किस श्रेणी में प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए विभिन्न संस्थानों से विशेषज्ञ मांगे गए हैं।

यह प्रशिक्षण दिया जाएगा: आपको बता दें कि अब तक यह प्रशिक्षण गौ विज्ञान अनुसंधान संस्थान नागपुर, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आनंद गुजरात, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल और सिलीगुड़ी में दिया जा रहा था। प्रदेश में पहली बार प्रशिक्षण देने की पहल की गई है। इसमें पशुपालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान मनोरंजन की भी व्यवस्था की जाएगी। प्रशिक्षण में डेयरी पशुओं हेतु चारा रोपण और संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। किसानों को साइलेज बनाना सिखाया जाएगा। यह सब से बाढ़ के समय चारे की किल्लत नहीं होगी। प्रशिक्षण में हिस्सा लेने हेतु पशुपालक को जिला पशुपालन अधिकारी के पास आवेदन जमा करना पड़ेगा।

कितने पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा

  • सामान्य – ओबीसी पुरुष – 1250
  • सामान्य ओबीसी महिला – 1250
  • अनुसूचित जाति पुरुष – 1164
  • एससी पुरुष – 0291

प्रशिक्षण प्राप्त होने से होंगे काफी लाभ: डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण मिलने से पशुपालकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई फायदे होंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पशुपालन को न केवल पशुओं की उचित देखभाल, उनके उचित पोषण, अधिक दूध उत्पादन तकनीकों के बारे में पता चलेगा, बल्कि उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा। प्रशिक्षित पशुपालकों को सरकारी अनुदान और बैंकों से ऋण पर वरीयता मिल रही है।