प्रवासी मजदूरों को सुरक्षात्मक तरीकों से बिहार लाके कोरोंटिन केंद्रों पर समुचित सुविधा दें सरकार : मंजुबाला पाठक

डेस्क : राजधर्म क्या होती है,ये शायद बिहार सरकार को मालूम नहीं। देश ऑर दुनिया इस वक़्त सदी के सबसे बड़े महामारी से जुझ रहा हैं। बिहार के लाखों प्रवासी मजदूर बाहर समस्याओं से जुझ रहें हैं। बिहार सरकार उन प्रवासियों को व्यापक रूप से बिहार नहीं ला रही हैं। जिनको ला रही हैं उसमे भी सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं हो रहा हैं। बसों ऑर ट्रेन में खेचमखेच लोगों को बिना सोशल डिस्टेंस पालन किए बिहार लाया जा रहा हैं। जिससे संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा बढ़ रहा है।

बिहार सरकार कोरोंटिन के नाम पर खिलवाड़ कर रही हैं। कोरोंटिन सेंटर पर भी सोशल डिस्टेंस का ना तो पालन हो रहा है ना ही प्रवासियों को उचित सुविधा मुहैया हो रही हैं। प्रवासियों को खाना सही नहीं दिया जा रहा है।बहुत से केंद्र पर प्रवासियों ने अनशन ऑर आंदोलन भी किया है ऑर यह अनवरत जारी हैं। खाने में कीड़ा मिलने की शिकायते बहुत धड़ले से आ रही हैं। बहुत जगह प्रवासियों की हालत बदतर हैं।उनको सरकार कुपोषित खाना तो दे रहीं है परन्तु उन प्रवासियों के घरों के लोग जो अपने कोरोंटिन सदस्य पर निर्भर हैं वो भुख से संघर्ष कर रहें हैं।

एक भुख से व्याकुल मां , पत्नी ऑर बच्चे अपने कोरोंटिन परिवार के सदस्य के सकुशल घर वापसी की आस लगाए बैठे है ताकि वो सदस्य सकुशल घर वापसी कर अपने श्रम से उनको खाना दे ऑर परिवार का भरण पोषण करें। जो प्रवासी मजदुर स्वस्थ्य थे वो अव्यावहारिक तरीके से सरकार द्वारा लाने पे सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं होने से संक्रमित हो जा रहे हैं। सरकार कोरोंटिन के नाम पर केवल खाना पूर्ति कर रही हैं। अस्पतालों में प्रयाप्त सुविधा नहीं। प्रयाप्त डॉक्टर भी नहीं हैं ताकि प्रवासियों का सही जांच हो सके। पी पी किट ऑर सुरक्षा तंत्र नहीं है जिससे ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं।
पुलिस के जवान भी संक्रमित हो रहे हैं ,उनको होटल में कोरोंटिन के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही हैं। सेवा में लगे कर्मचारियों को सुरक्षा के साजो-समान नहीं दिया जा रहा है फलस्वरूप वो भी संक्रमित हो रहें हैं।

बिहार सरकार अपनी साख बचाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ रहीं हैं ऑर गलत आंकड़ा जारी कर रहीं हैं। मजदुर भुखे पैदल ही रेल लाइन ऑर हाईवे से अपने गंतव्य तक निकल पड़े हैं जिससे उनकी जाने जा रही हैं। कितनी दुर्दशा सहते हुए एक मां अपने बच्चे को अपने पीठ पर बांधे पैदल अपने घरों तक निकल पड़ी हैं परन्तु सरकार उनकी सुध तक नहीं ले रहीं हैं। मैं मंजुबाला पाठक बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस पूर्व उपाध्यक्ष अपने प्रवासी नागरिकों की ये हालत देख कर काफी दुख में हूं। मैं बिहार सरकार से मांग करती हूं कि प्रवासी मजदूरों को सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सकुशल उन्हें बिहार लाया जाए ऑर उनको अच्छे से कोरोंटिन की जाए।

केंद्रों पर अच्छे पेयजल ऑर खाना की व्यवस्था की जाए। उनकी सम्यक जांच की जाए तब उन्हें उनको घर जाने की अनुमति दी जाए। कॉरोंटाइन सेंटर पर उनको रोजगारपरक प्रशिक्षण दिलाया जाए ऑर उनको योगा ऑर व्यायाम किसी प्रशिक्षक के देख रेख में कराया जाए।उनके परिवार के भरण- पोषण के लिए एक बजट की व्यवस्था की जाए। उनको मनोरंजन के लिए कारोंटाइन केंद्रों पर व्यवस्था की जाए। ताकि हमारे प्रवासी मजदूरों को ऊर्जावान बना के उनके श्रम का दोहन कर बिहार का विकास ऑर उनका विकास किया जा सकें।