बिहार : अब सरकारी वकील नहीं लड़ सकेंगे प्राइवेट केस, नियमावली में होगा बड़ा बदलाव, जानें – डिटेल्स

डेस्क : बिहार से एक बड़ी खबर आई हैं यहां विधि विभाग ने सरकारी वकील की नियुक्ति वचनबद्धता नियमावली में बदलाव का निर्णय लिया है. अब कोई भी सरकारी वकील न तो किसी निजी केस को स्वीकार कर सकेंगे, और न ही राज्य सरकार के खिलाफ किसी भी केस में हाजिर हो सकेंगे. यहां तक कि सिविल मामले में भी किसी प्राइवेट व्यक्ति की तरफ से केस को स्वीकार नहीं कर सकेंगे, बशर्ते कि वह केस राज्य सरकार के खिलाफ न हो.

सरकार के खिलाफ कोर्ट में उपस्थित नहीं होंगे सरकारी वकील

बिहार में कोई भी सरकारी वकील प्राइवेट व्यक्ति चाहे वह याचिकाकर्ता हो, स्थानीय प्राधिकार अथवा राज्य विधानमंडल या संसद के निर्वाचन के संबंध में आरंभ की गयी किसी निर्वाचन याचिका की कार्रवाई में किसी व्यक्ति की तरफ से केस को स्वीकार नहीं करेगा. कोई भी व्यक्ति जो संसद अथवा राज्य विधानमंडल अथवा किसी नगर निगम, नगर परिषद पंचायत या किसी स्थानीय प्राधिकार का सदस्य हो और जब तक वह अपने पद पर बने रहेंगे सरकारी वकील के रूप में वचनबद्धता के लिए पात्र नहीं होंगे. इसके अलावा सरकारी वकील के सहायक वकील भी अब सरकार के खिलाफ न्यायालय में उपस्थित नहीं होंगे

खुद से भी लड़ सकते हैं आप अपना केस

धारा 32 के अनुसार, बिन वकील भी केस लड़ा सकता है. आप खुद भी अपना केस लड़ सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको न्यायधीश से अनुमति लेने पड़ती है. आपको बता दें कि कि संविधान के सेक्शन-32 के एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के तहत, कोई भी व्यक्ति अदालत में अपना केस लड़ सकता है. न्यायधीश इसके लिए किसी भी व्यक्ति को अपने सामने उपस्थित होने की इजाजत दे सकती है, फिर चाहे वो वकील हो या न हो. इसके लिए आपको किसी तरह की विधि की डिग्री लेने की भी जरूरत भी नहीं है. भारत के संविधान ने हर किसी को खुद के मामले में रक्षा करने का वैधानिक अधिकार दिया हुआ है.