डेस्क : कोसी व सीमांचल क्षेत्र के वासियों के लिए एक खुशखबरी सामने आई है। करीब लंबे अरसे के बाद पूर्णिया हवाई अड्डे को शुरू करने की मांग अब पूरी होने वाली है। क्योंकि हाल ही में कोसी और सीमांचल के सांसदों ने भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिघिया को ज्ञापन देकर पूर्णिया हवाई अड्डा से नागरिक विमान सेवा प्रारंभ करने का आग्रह किया है। बताते चलें कि पूर्णियां सांसद संतोष कुमार, मधेपुरा दिनेशचंद्र यादव, सुपौल दिलकेश्वर कामत और बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह ने संयुक्त रूप से मंत्री से मिलकर पूर्णिया एयरपोर्ट को शुरू करने की मांग की है।
रनवे मरम्मती का कार्य तेजी से हो रहा है : उन्होंने बताया पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 18 अगस्त, 2015 को पूर्णिया हवाई अड्डा से उड़ान सेवा बहाल करने की घोषणा की गई थी। कहा कि पूर्णियां हवाई अड्डा वायूसेना स्टेशन के तौर पर भी कार्य कर रहा है। पीएम की घोषणा के बाद बिहार सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण का कार्य चल रहा है। सांसदों ने कहा कि पूर्णियां हवाई अड्डा से उड़ान सेवा बहाल होने पर सीमांचल व कोसी क्षेत्र के साथ पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल एवं पड़ोसी देश नेपाल के लोग इससे लाभांवित होंगे। मंत्री ने कहा कि रनवे मरम्मती का कार्य तेजी से हो रहा है। मरम्मती कार्य पूरा होने के बाद शीघ्र विमान सेवा प्रारंभ करने की दिशा में प्रयास किया जाएगा।
एयरपोर्ट बनने से इन जिला वासियों को होगा फायदा : प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सैन्य हवाई अड्डा से संयुक्त परिचालन के लिए 2014 से ही पूर्णिया एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का मामला पाइप लाइन में है। जमीन अधिग्रहण के लिए 20.50 करोड़ की राशि सरकारी खजाने में जमा है। पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होने पर सीमांचल और कोसी के सात जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा। जिसमे, कोशी क्षेत्र के मधेपुरा के अलावा पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज सहित अन्य शहर के लोगों को लाभ मिलेगा। फिलहाल, सीमांचल वासियों को फ्लाइट के लिए बागडोगरा जाना पड़ता है। इसमें समय के साथ-साथ रुपया भी अधिक खर्च हो जाता है।
सबसे पहले अंग्रेजों ने पूर्णिया एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी: बताते चलें कि पूर्णिया की सरजमीं ने अंग्रेजों के हौसले को उड़ान दी। 1934 में अंग्रेजों ने पूर्णिया शहर से पूर्व में स्थित लाल बालू से माउंट एवरेस्ट के लिए उड़ान भरी थी। अंग्रेजों ने यहां से माउंटर एवरेस्ट की 33 हजार फीट ऊंचाई मापी थी। इसके तहत डगरूआ के लाल बालू में फ्लाइंग बेस तैयार किया गया था। उस वक्त जहाज को उड़ान भरते देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े थे।