पिता पेट्रोल पंप कर्मचारी, घर बेचकर बेटे को पढ़ाया, बेटा बन गया आईएएस ऑफिसर, साल 2018 में 1 नंबर से नहीं बन पाया था IAS

डेस्क : यह दुनिया मेहनत से डर कर भागने वालों की नहीं बल्कि उन लोगों की है जो विपरीत परिस्थितियों में खड़े रहते हैं और अपनी आर्थिक हालत सुधारने के लिए लड़ते हैं। प्रदीप सिंह ने अपना पहला एटेम्पट जो दिया था उसमें उन्होंने 93 रैंक हासिल की थी। मात्र एक नंबर की कमी की वजह से उनको आईएएस कैडर नहीं मिल पाया था। अब 2019 की परीक्षा में उन्होंने 26 रैंक हासिल की है। आज हम इनकी सफलता की कहानी जानेंगे।

प्रदीप सिंह के पिता जी पेट्रोल पम्प पर काम करते हैं। प्रदीप सिंह की जन्म भूमि गोपालगंज बिहार है लेकिन वह इंदौर में पले बड़े हैं। प्रदीप सिंह के दादाजी का सपना था की वह एक दिन परिवार का नाम रोशन करें। जब वह आठवीं कक्षा में थे तब उन्होंने सोच लिया था की वह आईएएस ही बनेंगे। परिवार में उनको लेकर कुल 4 भाई हैं। उन्होंने छोटी उम्र से ही लाइब्रेरी जाना शुरू कर दिया था। उन्होंने 10वीं और 12वीं कक्षा में 80 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। उसके बाद बीकॉम ऑनर्स इंदौर से पूरा किया। वह एक उचित दूरी सोशल मीडिया से बनाकर रखते थे। फिर उन्होंने पेपर में पास होने के लिए सोचा की तैयारी करें और तैयारी दिल्ली में बढ़िया होती है इसलिए वह 2017 में दिल्ली चले गए।

लेकिन दिल्ली में रहकर तैयारी करने के लिए कम से कम 2 लाख का खर्चा आ जाता है। वहीं प्रदीप कहते हैं की उनके परिवार में किसी के पास भी इतना पैसा नहीं था की वह आसानी से यह पैसा दे सकें। फीस का खर्चा उठाने के लिए उनके पिताजी ने घर की जमीन बेच दी। इसके बाद जब वह मैन्स की परीक्षा लिख रहे थे तो उनकी माताजी बीमार हो गई थी, वह अस्पताल में थी। लेकिन इस समय के बारे में वह ज़िक्र करके बताते हैं की घर वाले उनके साथ तैयारी कर रहे थे। बस उनके हाथ में किताब न थी। बाकी वह सारे काम कर रहे थे जिससे उनका सिलेक्शन हो सके। साल 2018 में जब इनका सिलेक्शन हुआ तो उनको IRS डिपाटमेंट मिला, उन्होंने नौकरी पकड़ ली और फिर नौकरी के साथ तैयारी जारी रखी। साल 2019 में जब उन्होंने फिर पेपर दिया तो उनको 26 रैंक हासिल हुई। उनकी सफलता का सूत्र है कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकना और हमेशा दिमाग में तैयारी का ख्याल रखना, सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखना काफी जरूरी है।