डेस्क : बिहार में शहरीकरण को लेकर तैयारी जोरों पर हो रही है। बिहार में शहरीकरण की रफ़्तार बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार इस दिशा में सभी ज़रूरी काम कर रही है। राज्य सरकार ने इस कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए बड़ा निर्णय लिया है। माना जा रहा है कि अगले साल यानी कि नए साल में बिहार में 40 से अधिक नए शहरी निकाय बनाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। सूबे में शहरी निकायों की संख्या बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है इसके लिए शहरीकरण के मानक बदल जाने की तैयारी है जिसका खाका भी तैयार हो गया है।
राज्य में शहरीकरण के मौजूदा मानक के अनुसार शहरी निकाय गठन के लिए कुल जनसंख्या की 75 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। नए बदलाव में अब कार्यशील जनसंख्या की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी खेती पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। राज्य में तमाम अनुमंडल मुख्यालय ऐसे हैं, जहां विकास बहुत कम हुआ है। ऐसे में 12 हजार से अधिक आबादी वाले तमाम क्षेत्रों को अब नगर पंचायत बनाने की तैयारी है। 40 हजार से अधिक आबादी वाली नगर पंचायतें अब उच्चीकृत होकर नगर पालिका परिषद बनेंगी।
बिहार में नए साल में शहरी निकायों की संख्या बढ़ जाएगी। शहरीकरण के मानकों में बदलाव कर बिहार में जल्द ही 40 से 50 नए निकाय गठित हो सकते हैं।नगर विकास एवं आवास विभाग ने नए निकायों के लिए जिलों से प्रस्ताव मांगे थे। इन प्रस्तावों की जांच की जा रही हैै।मानक पर खरे उतरने वाले प्रस्तावों को जल्द कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार राज्य शहरीकरण के मामले में अन्य राज्यों से काफी पीछे हैं। यहां शहरीकरण का आंकड़ा महज 11 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत करीब 33 प्रतिशत है। नए निकायों का गठन होने पर यह आंकड़ा 15 प्रतिशत के करीब होने की उम्मीद है. जिलों से एडीएम, डीपीआरओ, स्टेटिक अफसर सहित अन्य पदाधिकारियों को भी बारी-बारी से बुलाकर इस मामले में सरकार ने फीडबैक लिया और उसके बाद यह बड़ा निर्णय लिया गया है कि जल्द ही राज्य में 40 से अधिक नए शहरी निकाय बनेंगे।