बिहार में इन जिलों को जोड़कर इको टूरिज्म सर्किट विकास की कवायद शुरू ! डॉल्फिन रिसर्च सेंटर और रामसर साइट कावर झील के बहुरेंगे दिन

न्यूज डेस्क : बात जब भी घूमने की होती है, तो लोग अक्सर कश्मीर से कन्याकुमारी तक का नाम ले लेते हैं। तो कुछ साउथ भारत घूमने की सलाह देने लगते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं बिहार में भी ऐसे कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है। जहां आप कम बजट में आसानी से घूम सकते हैं। हालांकि, कुछ पर्यटन स्थल को सरकार की ओर से विकसित किया जा चुका है और कुछ को विकसित किया जाएगा। अब वह दिन दूर नहीं जब बिहार भी भारत के नक्शे में टूरिज्म स्थल के नाम से विकसित हो जाएगा। बता दे की केंद्र सरकार ने इको टूरिज्म पर जोर देते हुए अपनी विशेषताओं को पर्यटकों के सामने लाने की सार्थक पहल जारी है। योजनाएं धरातल पर उतरेंगी, यह निश्चित हो चुका है।

बुधवार को केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री अश्विनी कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि बिहार में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। इसे बढ़ावा देने के लिए उच्च स्तरीय बैठक की गई है। आगे उन्होंने बताया की बिहार के भागलपुर, बेगूसराय, बांका, कटिहार, मुंगेर जैसे आसपास के क्षेत्रों को भी इको टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए कवायद शुरू हो चुकी है। मंत्री ने कहा कि बायो डायवर्सिटी को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकार कार्य कर रही है। पटना साइंस कालेज में डॉल्फिन रिसर्च सेंटर खोला गया है। इसका एक्सटेंशन सेंटर भागलपुर में खुलेगा।

बताते चलें कि भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से कहलगांव तक गंगा नदी में डॉल्फिन का अभयारण्य है। अगर, इसे भी इको टूरिज्म घोषित कर दिया जाए तो डॉल्फिन का भी संरक्षण होगा। और साथ ही साथ पर्यटको का भी बढ़ावा मिलेगा। वही विशेषज्ञों की माने तो पूरी दुनिया में लगभग 3,000 डॉल्फिन बचे है। उनमें से डेढ़ सौ से 200 डॉल्फिन सिर्फ भागलपुर के आसपास क्षेत्रों में है। इसी प्रकार कदवा दियारा स्थित जगतपुरा झील में पूरी दुनिया से तरह तरह की पक्षियां पहुंचती है। यहां रिंगिंग सेंटर बनाया गया है। वही बेगूसराय जिले स्थित कावर झील को भी विकसित किया जा रहा है। हालांकि, सरकार ने इसे पहले से ही देश का 39वां रामसर साइट घोषित किया है। बता दे की कांवर झील को बूढ़ी गंडक से जोड़ा जाएगा, ताकि झील में सालों भर पानी की उपलब्धता बनी रहे।

आगे मंत्री ने कहा कटिहार जिले के गोगाविल, मुंगेर के भीमबांध, बांका के मंदार पर्वत को भी ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही साथ ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किए जाने वाले सभी स्पाट पर ईको टेंट भी लगाए जाएंगे। जहां पर्यटक योग, प्रणायाम के साथ ही प्राकृतिक वातावरण का लुत्फ उठा सकेंगे। पीपी मोड पर कार्य करने के लिए निजी सेक्टर के लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा। इन सभी स्थलों को इको टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। भागलपुर में वन विभाग की ओर से बेहतर कार्य किए जा रहे हैं। गरुड़ सेवा केंद्र और कछुआ पुनर्वास केंद्र इसके उदाहरण हैं। बीते 14 वर्ष में भागलपुर में गरुडों की संख्या 78 से बढ़ कर 650 हो गई।