एक हाथ से रिक्शा चलाकर दिल्ली से बिहार पहुंचा दिव्यांग बोला अब कभी नहीं जाएंगे परदेस

डेस्क : कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी ने अपने कहर से सबसे ज्यादा उन लोगों को परेशानी में डाला है जो अपने घर से दूर दूसरे जगह पर कमाने हेतु रह रहे थे। जब कोरोना अपने विकराल रूप में नजर आने लगा तब सरकार की ओर से लॉक डाउन जारी कर दिया गया कि जो जहां है वहीं पर रहे। इतना ही नहीं यातायात के साधन भी बंद कर दिए थे जिसकी वजह से कोई अपने घर नहीं लौट पा रहा था…. पर अब सरकार ने लोगों को अपने घर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है।

वही इन्हीं में से एक व्यक्ति मोहम्मद जुबेर भी है, जो दिव्यांग है। बचपन में किसी तरह से पोलियो की बीमारी होने के कारण वह अपने बाएं हाथ का इस्तेमाल नहीं कर पाता है। पर इसके हौसले और इसके उत्साह ने इसे अपने घर पहुंचा ही दिया। आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि दिव्यांग होने के बावजूद भी जुबेर ने सैकड़ों किलोमीटर तक का सफर केवल एक हाथ से रिक्शा चलाकर तय किया है। दिल्ली- यूपी बॉर्डर पर गाजीपुर से यहां तक पहुंचने में 28 साल के एक दिव्यांग को लगभग 2 हफ्ते का समय लग गया है। अपने प्रदेश लौटने के जुनून में जुबेर ने तिपहिए साइकिल के लिए अपने दाएं हाथ का इस्तेमाल किया और हर रोज 50 से 70 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने घर पहुंच गया। जुबेर 2 महीने पहले वहां पर नौकरी की तलाश में गया था।

अब कभी नहीं जाऊंगा परदेस : सुरक्षित अपने घर लौटने के बाद जुबैर के पहले शब्द थे कि “अब कभी राष्ट्रीय राजधानी नहीं लौटेंगे”। जुबैर ने बताया कि काफी मशक्कत के बाद उन्हें गाजीपुर मंडी में एक काम मिला था जहां वह मछली के कारोबार से जुड़े थे और हर रोज मिले ₹200 मिलते थे। जब देश मे लॉक डांउन शुरू हुआ तब उनकी स्थिति खराब होने लगी। तभी उन्होंने यह फैसला किया कि वह खाने-पीने के कुछ सामान को इकट्ठा करेंगे और उन्होंने खाने कि कुछ चीजों को रास्ते के लिए पैक किया और 23 अप्रैल को अपने घर के लिए तीन पहिए साइकिल से निकल पड़े।

देखा जाए तो इस युवक ने अपने आप में ही एक प्रेरणा दर्शाई है, जो अपने घर पहुंचने के लिए सारी कठिन मुश्किलों को पार करके अपने घर सुरक्षित पहुंच गया।