न्यूज डेस्क : बिहार में पेप्सी का पहला बॉटलिंग प्लांट बेगूसराय के असुरारी में बन रहा है। सबकुछ ठीकठाक रहा तो इस प्लांट से पेप्सी कोल्डड्रिंकस का बॉटलिंग दिसम्बर माह से शुरू हो जाएगा । यह प्लांट 55 एकड़ जमीन पर बन रहा है। इस प्लांट के चालू होने के बाद प्लांट के भीतर प्रत्यक्ष तौर पर करीब 500 और अप्रत्यक्ष तौर पर तकरीबन 1500 लोगों को रोजगार मिलेगा। फिलवक्त करीब दो महीने से प्लांट का निर्माण कार्य जोर शोर से किया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक सिविल के काम में दो सौ से तीन सौ के बीच की संख्या में स्किल्ड और अनस्किल्ड कामगार प्लांट निर्माण में लगे हुए हैं।
जिसमें से ज्यादातर कामगार बंगाल के मालदा टाउन से हैं। जो पति , पत्नी , बच्चे सभी साथ आकर यही डेरा – डंडा डालकर काम करते हैं। वहीं कम्पनी के एक बड़े अधिकारी का दावा है कि यहां के स्थानीय लोगों को भी काम दिया जा रहा है। ग्राउंड जीरो पर रिपोर्टिंग करने के दौरान हमारी टीम ने जिस भूभाग पर प्लांट बन रहा है उसके क्षेत्रफल और हालातों का चारों ओर से जायजा लिया। वहां के गार्ड , कामगार , इंजीनियर सहित कई लोगों से बातचीत की । इन सभी चीजों के बीच यह लगा कि पेप्सी बॉटलिंग प्लांट बेगूसराय जिले में एक बड़ा उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है। जिस तरह से बीते दिनों बिहार के बिहार के उद्योग मंत्री शहनवाज हुसैन ने यहाँ रोजगार पैदा करने व बढ़ाने बढ़ाने का दावा किया।
स्थानीय लोगों को भी इसमें रोजगार मिलने की बात कही । साथ ही उन्होंने कहा कि यह प्लांट भागलपुर में लगने वाला था । लेकिन स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से विशेष प्रेम होने के कारण यह प्लांट बेगूसराय में ही लगाया जा रहा है। यह सभी बातें जिला के विकास के लिए सुखद प्रतीत होती है। साथ साथ पेप्सी के अबतक के क्रियाकलापों से एक बड़ा सवाल पैदा ले लिया है। कि सच मे यहाँ के स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा या यह एक हसीन सपना ही रह जायेगा ।
ग्राउंड जीरो से हुई है रिपोर्टिंग , अंत तक पढ़ें , क्या है समस्या : इस कड़ी में हमारी टीम ने रिपोर्टिंग के दौरान प्लांट के बाहर बैठे कुछ वैसे लोग जो प्लांट के आने वाले गिट्टी बालू के ट्रक को अनलोड करते हैं। उनसे बातचीत की। तो उनलोगों ने जो बातें कही वह चौकाने वाला था । लोगों ने बताया कि प्लांट निर्माण में यहाँ के स्थानीय कामगारों को काम नहीं दिया जा रहा है। हमलोग काम मांगने भी जाते हैं , तो कंपनी अपने शर्त पर काम करने को बोलती है, जिस दर पर हमलोगों का पालन संभव नहीं है। ऐसे में कोई नहीं है जो हमलोगों की फरियाद सुन सके । पहली दफा हमारी टीम को इनकी बातों में दम नही लगा । लेकिन जब आसपास के सैकड़ों लोगों से बारी बारी से इस बात की जानकारी ली गई तो ओर भी चौकाने वाली बातें सामने आई ।
औद्योगिक राजधानी की विकास हुई है तेज , पर पेप्सी के प्लांट से जिलावासियों को कितना फायदा : बताते चलें कि बिहार का बेगूसराय जिला औद्योगिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। बीते सालों की बात करें तो यहां औद्योगिक गतिविधि में तेज रफ्तार देखी जा सकती है ।रफ्तार इस मायने में कि यहां एनटीपीसी के क्षमता में वृद्धि , आईओसीएल में पेट्रोकेमिकल इत्यादि चीजों की तरफ कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। तो , पेप्सी का पहला बॉटलिंग प्लांट बेगूसराय के इतिहास में औद्योगिक विकास में नया उपक्रम साबित होगा।
इन सभी चीजों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि बेगूसराय के धरती पर बनने वाला यह पेप्सी प्लांट यहां के कितने लोगों को कितना रोजगार मुहैया करवा पाएगा। क्योंकि इस पेप्सी प्लांट के खुलने से जहां एक तरफ सीधे तौर पर बिहार सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी तो वहीं दूसरी तरफ पेप्सी कंपनी को मुनाफा प्राप्त होगा उसका बिजनेस बढ़ेगा। इन दोनों चीजों के बीच में बेगूसराय के लोगों को अगर कुछ मिलेगा तो वह रोजगार होगा । लेकिन पेप्सी प्लांट के निर्माण कार्य की वस्तुस्थिति को देखा जाए तो भी वहां पर जितने मजदूर काम कर रहे हैं उसमें कितने प्रतिशत बेगूसराय के हैं , कितने प्रतिशत वहां के आसपास के कई गांव के मजदूर हैं ?
इस चीज पर जब आधिकारिक डाटा की मांग की गई तो तो कंपनी के लोगों ने उपलब्ध करवाने में अपनी असमर्थता जताई। एक कहावत तो आप लोगों को पता ही होगा कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं पेप्सी प्लांट में भी यह कहावत को अगर जोड़ा जाए तो पता चलेगा कि जब निर्माण कार्य में यहां के मजदूरों को स्थानीय होने के नाते वरीयता के आधार पर काम मुहैया नहीं करवाई जा रही है, या कंपनी अन्य प्रकार की कई तर्कों के साथ काम करवाने में असमर्थ है। तो आने वाले समय में जब प्लांट से बॉटलिंग शुरू होगा तो बेगूसराय के कितने लोगों को नौकरी मिल पाएगी । स्पेशलिटी के आधार पर कितने प्रतिशत स्थानीय जनता को रोजगार मिल पाएगा। यह फिलहाल यक्ष प्रश्न बना हुआ है ।
इस प्लांट पर अबतक न कोई जनप्रतिनिधि पहुंचे हैं न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी : सबसे महत्वपूर्ण बात यहां पर यह निकलकर सामने आई है कि बीते दिनों से जब से प्लांट का निर्माण कार्य शुरू हुआ है यहां पर अब तक कोई भी जनप्रतिनिधि चाहे वह पक्ष के हो या विपक्ष के प्लांट का विजिट करने के लिए यहां घूम कर देखने के लिए कोई भी नहीं आए हैं। बात इतना ही नहीं है जनप्रतिनिधि अपनी व्यस्तता अपनी राजनीतिक और समर्थन का हवाला दे सकते हैं। लेकिन जिले के प्रशासनिक महकमा के आला अधिकारी भी अब तक यहां भौतिक जायजा लेने नहीं पहुंच सके है। कंपनी को 55 एकड़ जमीन मुहैया करवाई गई है उसका सीमांकन प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। तो इतने पेंचों के बीच बेगूसराय के लोगों को पेप्सी प्लांट शुरू होने के बाद क्या हाथ लग पाएगा । यह आप खुद भी सोच सकते हैं।
विधायक ने स्थानीय को वरीयता देने की वकालत की : द बेगूसराय की टीम ने इस मामले पर बेगूसराय के श्रम अधीक्षक से भी बात किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के द्वारा लिखित शिकायत मिलने पर मामले की जांच की जाएगी। श्रम विभाग के जो नियम कानून बने हैं। उसका पालन होना आवश्यक है। स्थानीय विस क्षेत्र तेघरा के विधायक रामरतन सिंह से जब बातचीत करने की। तो उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना चाहिए अगर कंपनी के द्वारा इसमें किसी भी प्रकार की कोताही बरती जाती है तो ठीक बात नहीं होगी।