डेस्क: सीएम नीतीश ने एक बार फिर से अपराधियों के बीच अपने कड़े तेवर के लिए मशहूर सीनियर आईएएस (IAS) अधिकारी केके पाठक (KK Pathak) को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। बिहार का वो कड़क आईएएस ऑफिसर जिसके नाम से अच्छे-अच्छे माफियाओं के पसीने छूट जाते थे, हमेशा अपने नए अंदाज में सुर्खियों में रहने वाले ‘कड़क सीनियर आईएएस ऑफिसर केके’ को सीएम नीतीश ने शराबबंदी की कमान सौंप दी है, बता दे की विभाग की ओर से “के के पाठक” को निबंधन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में अपर मुख्य सचिव बनाए जाने की अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
कौन है IAS ऑफिसर के के पाठक? बताते चलें कि1990 बैच के सीनियर आईएएस केशव कुमार पाठक, जिन्हें लोग ” के के पाठक” से नाम से भी जानते हैं, पाठक मूलरूप से यूपी के रहने वाले है। लेकिन 2015 में जब महागठबंधन सरकार सत्ता में आई थी तो ये दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर थे। उस वक्त इनकी वापसी बिहार में कराई गई। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता खासतौर पर महिलाओं से शराबबंदी का वादा कर रखा था।
जब लालू को करवाना पड़ा था ट्रांसफर: मीडिया रिपोर्ट्स के लिए जानकारी के मुताबिक, बात उस दौर की है, जब राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बिहार का सीएम हुआ करते थे, उस वक्त “के के पाठक” गोपालगंज के जिला अधिकारी थे, उसी दौड़ में केके पाठक ने जिले में जो जलवा दिखाया उसके बाद लालू को पता चल गया कि उन्होंने गलत दांव खेल दिया है। लालू के करीबी पाठक की कार्यशैली से इतने परेशान हो गए कि अंत में लालू को उनका ट्रांसफर कर सचिवालय बुलाना पड़ गया।
फिर विपक्ष का तंज क्यों? सीनियर आईएएस ऑफिसर “के के पाठक” को वापस मद्य निषेध विभाग में बुलाने के बाद अब राजनीति भी शुरू हो गयी है, विपक्ष की ओर से इस फैसले पर प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गयी है, कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि “केके पाठक” को वापस बुलाना सरकार के लिए जरूरी या मजबूरी है, केके पाठक सक्षम थे तो हटाया क्यों गए थे और अक्षम हैं तो फिर बनाए क्यों गए?