चुनाव से पहले बिहार की बेटियों को नीतीश सरकार का मिला सौगात

बिहार सरकार चुनाव से पहले प्रदेश की बेटियों के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया है. दरसल सीएम नीतीश कुमार ने भूमि निबंधन की प्रक्रिया में कई बदलाव किए हैं जो कि 2 अक्टूबर से लागू हो जाएंगा. सरकार ने प्रदेश की बेटियों के लिए नई रजिस्ट्री पॉलिसी के तहत यह फैसला किया है कि अब पारिवारिक बंटवारे में बेटियों की हकमारी नहीं होगी और पारिवारिक संपत्ति का रजिस्टर्ड बंटवारा तो करना ही होगा, साथ ही उसमें घर की बेटियों का हिस्सा भी सुरक्षित रहेगा. पारिवारिक बंटवारे के लिए बेटियों की अब रजामंदी जरूरी होगी और अगर बेटियां पारिवारिक संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी नहीं लेना चाहें तो उन्हें लिखित में देना होगा कि अपनी पैतृक संपत्ति में उन्हें हिस्सेदारी नहीं चाहिए.

बगैर बंटवारे के जमीन खरीद- बिक्री बंद हो जाएगी

नई रजिस्ट्री पॉलिसी के तहत अब तक परिवार बंटवारा रजिस्ट्रेशन स्वैच्छिक था. लेकिन अब यह दो अक्टूबर से अनिवार्य हो जाएगा. इससे बगैर बंटवारे के जमीन खरीद- बिक्री बंद हो जाएगी. हालांकि इससे सरकार के राजस्व में नुकसान होगा.

इससे जमीन के रजिस्ट्री के आंकड़ों का ग्राफ भी गिरेगा.अभी तक लोगों को नए नियम के बारे में जानकारी नहीं हुई है. लेकिन यह नियम पूरे राज्य में दो अक्टूबर से लागू हो जाएगा. जहां परिवार के संपत्ति का बंटवारा कराने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा.

पहले ऐसे थी व्यवस्था

वर्तमान में पुरानी जमाबंदी के आधार पर जमीन की खरीद- बिक्री होती थी. इसमें जमीन के प्लाट पिता के नाम से होते थे. पिता के नाम पर पुत्र भी जमीन को बेच सकता था. इसके लिए जमीन की मालगुजारी जमा कर अपडेट रसीद विक्रेता के पास होनी चाहिए. साथ ही पैन व आधार कार्ड अपेक्षित है.

नई व्यवस्था है जटिल

नई व्यवस्था में परिवार के मुखिया के नाम से जमीन का रिकार्ड होने पर पुत्र जमीन का बिक्री नहीं कर पाएगा. इसके लिए जितने परिवार के सदस्य है, उन सभी के नाम रिकार्ड में होना अनिवार्य है. यानी परिवार में बंटवारा होना जरूरी है. जितने भाई है या उन सभी के नाम से प्लाटवार नाम दर्ज होना चाहिए.