चिराग पासवान ने खेला बड़ा दांव, उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतार कर दिए सियासी परिपक्वता का परिचय…

डेस्क : लोक जनशक्ति पार्टी ( LJP) के ये साफ करते ही कि वे पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी।सियासी चर्चाओं के बाजार को एक नया मुद्दा दे दिया है। अब चर्चा का मुद्दा ये है कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) के इस फैसले के क्या मायने हैं और आने वाली बिहार की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा? खेर इस सवाल का जवाब जो भी हो पर फ़िलहाल राजनीती के जानकार यही कह रहे है ऐसा करके चिराग ने अपनी सियासी परिपक्वता का परिचय दे दिया है ओर एक साथ कई निशाने भी लगे हाथ साध लिए है।

हालाँकि,लोजपा ने ट्वीट में लिखा, ‘लोक जनशक्ति पार्टी व दलित सेना के संस्थापक आदरणीय राम विलास पासवान जी के निधन के बाद से रिक्त पड़ी राज्यसभा की सीट पर चुनाव है। राज्यसभा की यह सीट संस्थापक के लिए थी जब पार्टी के संस्थापक ही नहीं रहे तो यह सीट बीजेपी किसको देती है यह उनका निर्णय है।’ लोजपा ने अगले ट्वीट में लिखा, ‘राष्ट्रीय जनता दल के कई साथियों ने अपना समर्थन इस सीट पर लोजपा प्रत्याशी के लिए करने की बात की है। उनके समर्थन के लिए पार्टी आभार व्यक्त करती है। इस राज्य सभा सीट पर लोजपा का कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ना चाहता है।’

अब इन ट्वीट और चिराग के फैसले पर राजनीतिक जानकार का तो यही कहना हैं कि चिराग पासवान ने बहुत ही बुद्धिमतापूर्वक काम किया है और एक साथ सियासत के तीन निशाने साध लिए हैं। अपनी राजनीतिक परिपक्वता का परिचय डेडते हुए पीएम मोदी के हनुमान अब भी बने रहने के संकेत दिए हैं, जेडीयू की नाराजगी को भी भाव दे दिया है साथ ही साथ राजद के साथ अपने रिश्तों के लिए स्पेस बनाकर कर रखा है।