डेस्क: बिहार हमेशा से ही कृषि प्रधान राज्य रहा है, और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में उन्नति भी कर रहा है, लेकिन अब मखाने की खेती को लेकर बिहार को जल्द ही ग्लोबल पहचान मिलने वाली है। क्योंकि, देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती है, जिसमें 80 से 90 फीसदी उत्पादन अकेले बिहार में होती है।
बताते चलें कि इसकी खेती को लेकर जीआई टैग मिलने का रास्ता साफ हो गया। केंद्र सरकार के कंसल्टेटिंग समूह ने पटना में इसकी बैठक कर सारी बाधाएं दूर कर दी। बैठक में आवेदक के दावों पर सत्यता की मुहर लग गई। साथ ही इसकी विशेषताओं और उत्पाद के स्रोत से भी केंद्र के अधिकारी अवगत हो गये। अब जल्द ही इस उत्पाद को ‘बिहार का मखाना’ के रूप में जीआई टैग मिल जाएगा। उसके बाद इसकी निर्यात भी तेज होगी।
कोविड काल में मखाना काफी मददगार साबित हुआ था:
बता दें कि कोरोना काल में मखाना लोगों का इम्युनिटी बढ़ाने में काफी मददगार साबित किया। इसी के बढ़ते मांग को लेकर लगातार इस पर चर्चाएं हो रही थी। लेकिन अब अंत में सरकार की ओर से जीआइ टैग मिल चुका है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जीआइ टैग पाने वाला मखाना राज्य का पांचवा कृषि उत्पाद होगा, इससे पहले बिहार के शाही लीची, जर्दालु आम, मगही पान और कतरनी चावल को जीआइ टैग मिल चुका है।
सरकार किसानों को करेगी मदद:
मखाना की खेती को लेकर अब राज्य सरकार भी किसानों को मदद करने के लिए तैयार हो गई है। सरकार ने मखाना उत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाला बीज, तकनीक आधारित प्रोसेसिंग और मखाना मार्केट के विकास के साथ मखाने की खेती और उससे जुड़े किसानों के विकास की तैयारी की है। मखाना विकास योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में चार करोड़ उनचास लाख सतहत्तर हजार तीन सौ बीस रुपये खर्च किये जायेंगे, योजना में एससी- एसटी वर्ग का विशेष ख्याल रखा गया है।
टैग मिलने के बाद किसानों की आमदनी में ऐसे वृद्घि होगी:
बता दे की बिहार के मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद विश्व में कोई कहीं मार्केटिंग करेगा तो वह बिहार के मखाना के नाम से जाना जाएगा दूसरे किसी भी देश और राज्य का दावा इस कृषि उत्पाद पर नहीं हो सकता। इसी के साथ राज्य के मखाना उत्पादकों को नया बाजार मिल जाएगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। खेती भी बढ़ेगी।
विश्व का 85% उत्पादन बिहार में होता है:
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी, पूरे राज्य में मखाना का उत्पादन लगभग छह हजार टन होता है। यह विश्व में होने वाले उत्पादन का 85 प्रतिशत है। इसके अलावा शेष 15 प्रतिशत में जापान, जर्मनी, कनाडा, बांग्लादेश और चीन का हिस्सा है। विदेशों में जो भी उत्पादन होता है उसका बड़ा भाग चीन में होता है। लेकिन वहां इसका उपयोग केवल दवा बनाने के लिए होता है।
बिहार के इन जिलों में होती है खेती:
राज्य में जलीय उद्यानिक फसल में आने वाले मखाना की खेती दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, अररिया, किशनगंज आदि जिलों में की जा रही है।
- 6000 टन होता है उत्पादन
- 0.5 प्रतिशत मिनरल
- 362 किलो कैलोरी प्रति सौ ग्राम
- 76.9 प्रतिशत कार्बोहाइडेडवर्जन