पटना, 17 मई (आईएएनएस) बिहार में कोरोना से जंग लड़ने के लिए लॉकडाउन को और आगे बढ़ाए जाने का जहां सत्ताधारी पार्टी ने स्वागत किया, वहीं विपक्ष ने कहा कि “कोरोना को हराने के लिए यह स्थायी समाधान नहीं है।” जनता दल (युनाइटेड) के नेता और प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि कोरोना महामारी के विस्तार को रोकने के लिए लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाना जरूरी था। केंद्र सरकार ने यह अच्छा और सही फैसला लिया है।
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि को 31 मई तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रसाद ने कहा, “अन्य प्रदेशों में फंसे मजदूर अपने राज्य में वापस आ रहे हैं, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा है। बिहार में कोरोना संक्रमितों में 50 प्रतिशत बाहर से लौटे लोग हैं। लॉकडाउन बढ़ाए जाने से संक्रमण कम करने में मदद मिलेगी।”
सत्तापक्ष के अलावा बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने भी लॉकडाउन बढ़ाए जाने का समर्थन किया। हालांकि उन्होंने इससे हो रही परेशानियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “कोरोना को हराने के लिए यह स्थायी समाधान नहीं है। इससे अलग कोई उपाय भी नहीं है। लॉकडाउन में लोगों की सुविधा का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। आज लॉकडाउन में लोग परेशान हैं। दिहाड़ी मजदूर दर-दर भटक रहे हैं। उन्हें अपने घर तक जाने की सुविधा नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना टेस्ट में तेजी लाई जानी चाहिए।
वहीं, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि लॉकडाउन बढ़ाना स्थायी समाधान नहीं है, इसके लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन लॉकडाउन के बाद भी संक्रमितों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। क्वारंटीन सेंटर में लोगों को सुविधा नहीं मिल रही है। बाहर से आए लोग गांवों तक में पहुंच जा रहे हैं। सैंपलिंग की जांच तेज गति से नहीं हो रही है। केवल लॉकडाउन स्थायी समाधान नहीं है।
वंचित समाज पार्टी के रास्ट्रीय उपाध्यक्ष ललित सिंह ने बिहार सरकार से कोरेन्टीन सेंटर पर चुस्त दुरुस्त व्यवस्था बहाल करने की मांग की है, उन्होंने कहा कि श्रमवीरों को किसी प्रकार की कमी और दिक्कतें नहीं होनी चाहिये, सरकार ऐसा करने में असमर्थ हो तो वंचित समाज पार्टी को निर्देशित करे जिला स्तर पर कोरेन्टीन सेंटर की जिम्मेदारी प्रदान किया जाय ।
वहीं बिहार महिला कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री मंजूबाला पाठक ने महिलाओं के लिए कोरेन्टीन सेंटर पर सुविधा मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने रास्ट्रीय महिला आयोग से इस मामले पर संज्ञान लेने को कहा है कि फिलवक्त अधिकांशतः कोरेन्टीन सेंटरों पर महिलाओं को पुरुषों के साथ रखा जा रहा है।