बिहार देश का सबसे गरीब राज्य, 50% से ज्यादा आबादी है गरीब, जानिए- कौन जिला अमीर है और कौन गरीब?

डेस्क: देश का पहला मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (MPI) को नीति आयोग ने जारी कर दिया है, इस सूचकांक से आपको बिहार की गरीबी का अंदाजा हो जाएगा, दरअसल, नीति आयोग की इस रिपोर्ट में गरीबी सूचकांक के अनुसार, बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है, जहां की 51.91% आबादी गरीब है,

बता दे की इस गरीबी सूचकांक में बिहार के बाद दूसरे नंबर पर झारखंड है, इस राज्य में 42.16% आबादी गरीब है, इस सूंचकांक में तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, यूपी में 37.79% आबादी गरीब है, जबकि चौथे नंबर पर मध्य प्रदेश है, यहां की 36.65% प्रतिशत आबादी गरीब है, केरल इस मामले में सबसे अच्छा है, जहां सिर्फ 0.71% लोग ही गरीब हैं।

बताते चलें कि इस रिपोर्ट में बिहार के ऐसे कई जिला शामिल है, जो बेहद गरीबी से जूझ रहे हैं, इन जिलों में अधिकतर आबादी गरीबी रेखा से नीचे हैं और संघर्ष कर रही है, रिपोर्ट के मुताबिक, किशनगंज बिहार का सबसे गरीब जिला है, जबकि 11 जिले ऐसे हैं जहां गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है। वहीं, राजधानी पटना में सबसे अधिक अमीर हैं, मुजफ्फरपुर, गया और भागलपुर भी ऐसे जिले हैं, जहां अमीरों की ठीक-ठाक संख्या है।

अलग-अलग जिलों के गरीबी सूचकांक रिपोर्ट:- बता दे की किशनगंज जिले में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रहने वाले 64.75 प्रतिशत लोग हैं, इसके बाद अररिया (64.65 प्रतिशत), मधेपुरा जिला (64.43 प्रतिशत), पूर्वी चंपारण (64.13 प्रतिशत), सुपौल (64.10 प्रतिशत), जमुई (64.01 प्रतिशत), सीतामढ़ी (63.46 प्रतिशत), पूर्णिया (63.29 प्रतिशत), कटिहार (62.80 प्रतिशत), सहरसा (61.48 प्रतिशत) और शिवहर (60.30 प्रतिशत) से हैं।

50 फ़ीसदी तक गरीब वाले जिले:- नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के मुंगेर (40.99 फीसदी), रोहतास (40.75 फीसदी), सीवान (40.55 फीसदी) और भोजपुर (40.50 फीसदी) जिले के लोग 50 फीसदी तक गरीबी श्रेणी में आते हैं,

क्या है नीति आयोग गरीबी सूचकांक रिपोर्ट:- बता दे की गरीबी सूचकांक का निर्धारण परिवार की आर्थिक स्थिति और अभाव के आधार पर होता है, साथ ही सूचकांक के निर्धारिण में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है, इसका आकलन पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली, आवास, संपत्ति तथा बैंक एकाउंट के आधार पर होता है।

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