डेस्क : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के बड़े अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए कहा है कि जो भी आने वाले प्रवासी मजदूर हैं उनको शीघ्र लाया जाए और इसके लिए जितनी भी व्यवस्था हो कड़ी करी जाए, साथ हे ट्रेन और बसों की अधिकतम क्षमता का उपयोग करा जाए इसके अलावा मजदूरों का ख्याल भी रखा जाए ।
दिन पर दिन अलग तरह की रणनीतियां बनाई जा रही है ताकि किसी भी तरह इस कोविड-19 यानी कि कोरोना वायरस से निजात पाया जा सके, ऐसे में बिहार में आने वाले जितने भी प्रवासी मजदूर है. वह अपने गंतव्य राज्य तक एवं घरों तक पहुंच पाए इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि वह छोटे वाहनों के जरिए भी लोगों को सहायता पहुंचाएं। उनका ऐसा कहना है कि जितने भी मजदूर बाहर से आ रहे हैं वह पैदल बिल्कुल भी ना आए क्योंकि ऐसे में करोना संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है अगर वह करोना संक्रमण पाए जाते हैं तो इसके लिए उच्चस्तरीय समीक्षा करी जा रही है. जिसमें यह प्रावधान लाया जा रहा है कि कोरेन्टीन सेंटर को दोबारा से दुरुस्त करा जाएगा। समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कहा है कि बड़ी संख्या में जो प्रवासी मजदूर आ रहे हैं उनको पंचायत स्तरीय विद्यालय कोरेन्टीन कैंपों में जरूरी सुविधाओं के तहत रखा जाए जिसमें किसी भी मजदूर से भेदभाव ना करा जाए सबको एक समान ही आंका जाए।
मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रवासी मजदूर अलग-अलग शहर से आ रहे हैं और अलग शहरों में अलग-अलग तरह के जोन भी बने हुए हैं हम यह नहीं कह सकते कि कौन किस जोन से आ रहा है परंतु हमें अपनी ही रणनीतियों को सही से एवं व्यवस्थित तरीके से लाना होगा। इसके बाद उन्होंने निर्देश जारी करा है कि सभी जिलों में टेस्टिंग का कार्य जल्द से जल्द चालू हो इसमें किसी भी तरह की देरी ना हो।
आगे अपनी बात खत्म करते हुए उन्होंने कहा कि जितने भी प्रवासी मजदूर है उनके लिए ट्रेन और बस तो चलाई गई हैं परंतु अगर वह कम पड़ रही है तो इसके लिए हमें छोटी गाड़ियों को भी लाना होगा जिनके जरिए वह अपने घरों तक आसानी से जा सके क्योंकि प्रवासी मजदूर काफी दूर से आते हैं और उनकी हालत देखते ही दिल पसीज उठता है जिस वजह से छोटे मोटर वाहनों की मदद लेना एक सही तरीका साबित हो सकता है।