पटना : बिहार की नीतीश सरकार 14 अप्रैल को लॉक डाउन खत्म करने पर अपनी सहमति नहीं जता रही है,और इस मुद्दे को लेकर राज्य में 11 अप्रैल को बैठक होगी। उसमें यह फैसला होगा कि अभी करना क्या है? चुकी बिहार में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है इस वजह से सरकार भी परेशान दिख रही है। अपने अंतिम हफ्ते के करीब पहुंच चुका लॉक डाउन को पूरी तरह से खत्म किए जाने के निर्णय पर बिहार सरकार अभी असहमति जता सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस संबंध में विशेषज्ञ और चिकित्सकों से परामर्श कर रहे हैं,दो-तीन दिनों के भीतर इस बात पर विशेषज्ञ, चिकित्सकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी कर सकते हैं। इसके बाद सरकार के स्तर पर आधिकारिक रूप से लॉक डाउन को विस्तारित किए जाने के मामले पर बात हो सकती हैं।
सरकार के स्तर पर इस बात पर सीधी सहमति है कि फिलहाल ट्रेन व हवाई सेवा सहित पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पूरी तरह से पाबंदी रहे।सरकार के स्तर पर यह विश्लेषण किया गया है कि लॉक डाउन की वजह से बिहार में स्थिति बहुत ही हद तक नियंत्रित हुई है, लोग अनुशासित भी रहे हैं। लॉक डाउन अचानक से खत्म होता है तो भीड़ तेजी से आएगी। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जी उड़ जाएगी और ऐसी स्थिति को नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग इसलिए भी जरूरी है कि संक्रमण अगले चरण में प्रवेश ना करें। बिहार में एक ही दिन में 12 कोरोना पॉजिटिव के मिलने से हड़कंप मच गया है और यह आंकड़ा अब 51 पहुंच गया है। लॉक डाउन उन जिलों में एकदम नहीं खत्म किया जाएगा जहां से कोरोना वायरस के मामलों की आने की अधिक संभावना है। एक तरह से बिहार के लिए वह जिले हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित होने की प्रक्रिया में है। एहतियात के तौर पर इन जिलों में लोगों को अगले 15 दिनों तक और घरों में रहने को कहा जा सकता है ताकि सामाजिक दूरी बनी रहे और वायरस का खतरा कम हो।