न्यूज डेस्क : बिहार में कोरोना ने फिर से सावन के महीने को फीका कर दिया है। बता दे की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए इस साल भी न तो कांवड़ यात्रा होगी और न ही श्रावणी मेला का आयोजन होगा। लोगों को घरों पर ही पूजा करनी होगी और मंदिरों में सिर्फ पुजारियों को ही धार्मिक कार्यों की अनुमति होगी। 25 जुलाई से शुरू होने वाले सावन महीने का पर्व इस वर्ष भी कोरोना को लेकर बेगूसराय जिले के गढ़पुरा स्थित बाबा हरिगिरिधाम आने वाले लोगों के लिए बाबा भोलेनाथ का जल अर्पण और दर्शन दुर्लभ हो गया।
सिमरिया घाट से हरीगिरीधाम तक की 56 KM कांवर यात्रा होती थी: बता दें कि हर वर्ष श्रद्धालु सावन महीने में हरिगिरिधाम के लिए सिमरिया गंगा तट से जल भर कर कांवरिया भोलेनाथ को जल अर्पण करते हैं। सिमरिया से लेकर गढ़पुरा हरिगिरिधाम तक की लगभग 56 किलोमीटर की कांवर यात्रा में दर्जनों जगहों पर बोल बम कांवरिया के लिए सेवा शिविर निशुल्क लगाए जाते थे। इसको लेकर पूरे सावन महीने तक सिमरिया से लेकर गढ़पुरा तक बोलबम के जयकारा से गुंजायमान होते रहता था। परंतु, कोरोना के कारण विगत वर्ष भी और इस वर्ष भी श्रावणी मेला के आयोजन पर प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी: बीडीओ आफताब आलम ने कहा कि कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक मिले निर्देश के अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल चाहे वह किसी भी मजहब से आता हो, वहां सामूहिक रूप से कोई कार्यक्रम के आयोजन पर रोक है। वही थानाध्यक्ष मनीष कुमार आनंद ने बताया कि बाबा हरिगिरिधाम में श्रावणी मेला इस वर्ष कोरोना को लेकर आयोजित नहीं होगा। हरिगिरिधाम का नाम कुछ जिलों तक फैला नहीं है। बल्कि इस स्थल का नाम देश के कई राज्यों तक है। इससे यहां सावन महीने में भीड़ काफी जुटती है, परंतु, कोरोना को लेकर इस बार श्रावणी मेले का आयोजन नहीं होगा। लाकडाउन को लेकर मंदिर में ताला लटका है। इसलिए कांवर यात्रा सिमरिया से लेकर हरिगिरिधाम तक नहीं निकाली जाएगी।