डेस्क: वकालत का पेशा हमेशा से ही एक नोबेल पेशा कहा जाता है। जिस वजह से इसकी पढ़ाई को लेकर युवाओं में हमेसा से ही काफी झुकाव देखने को मिलता रहा है। हालांकि बिहार के विद्यार्थियों में ज्यादा रुचि इसे लेकर पहले तो नहीं थी पर पिछले कुछ वर्षों मे बिहार में भी लॉ की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में बिहार में 27 निजी व सरकारी लॉ कॉलेज है।जिनसे विद्यार्थी वकालत की डिग्री लेते है।
पटना हाइकोर्ट ने 23 मार्च 2021 के आदेश से बिहार के सभी सरकारी व निजी कॉलेज में नए एड्मिसन पर रोक लगा दी थी।परंतु बुधवार को चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस के की बेंच ने कुणाल कौशल की पी आई एल पर सुनवाई करते हुए बी सी आई कि अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण पत्र के आलोक में सिर्फ शैक्षिणक सत्र 2021-22 के लिए राज्य के 17 लॉ कॉलेज में सशर्त दाखिले को मंजूरी दे दी।साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि अगले सत्र के लिए बार कौंसिल से फिर से मंजूरी लेनी होगी।
साथ ही बेंच ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भी यह आदेश दिया है कि आगे के सत्र में दाखिले की अनुमति देने से पहले यह ज़रूर निश्चित कर लिया जाए कि लॉ कॉलेज न सिर्फ बी सी आई के मानदंड बल्कि बिहार सरकार,केंद्र सरकार व सम्बन्धित यूनिवर्सिटी की भी सारी अहर्ताओं को भी पूरा कर रहा है।
जिन कॉलेज को निर्धारित सीट के अनुसार एड्मिसन की अनुमति मिली है वो हैं:- चाणक्या लॉ कॉलेज पटना, कॉलेज ऑफ कॉमर्स पटना,आर पी एस लॉ कॉलेज पटना, सेंट्रल यूनिवर्सिटी गया, के के लॉ कॉलेज बिहारशरीफ, एस के जे लॉ कॉलेज मुजफ्फरपूर, आर पी मेमोरियल लॉ कॉलेज मुजफ्फरपुर, नालंदा विधि कॉलेज नवादा।
जिन कॉलेज को निर्धारित सीट से कम छात्रों को एड्मिसन देने की शर्त पर अनुमति दी गई है वो हैं:- राम कुमारी अयोध्या लॉ कॉलेज बेगूसराय, पटना लॉ कॉलेज पटना, एमिटी लॉ स्कूल पटना,बिहार इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ पटना,मुंशी सिंह लॉ कॉलेज मोतिहारी, नारायण स्कूल ऑफ लॉ रोहतास, टी एन बी कॉलेज भागलपुर, विश्वानाथ सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज मुंगेर।