डेस्क : बिहार पुलिस ने एक अति सराहनीय कदम उठाते हुए मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए विशेष फोर्स का गठन किया है। इस फोर्स को एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के नाम से जाना जाएगा। इस फोर्स में उच्च अधिकारियों से लेकर हर प्रकार के सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी। इसका अपना सशस्त्र बल होगा, जो किसी भी समय और कहीं भी अभियान को अंजाम दे सकता है। डीएसपी से लेकर सिपाही तक की इसमें तैनात होंगे और डीआईजी स्तर के अधिकारी के अधीन यह काम करेगा।
मुख्यतः यह फोर्स ईओयू के अधीन होगा, बिहार पुलिस की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के अधीन काम करेगा। फोर्स के गठन को मंजूरी दे गई है। अगले चरण में इसके लिए जवानों का चयन किया जा रहा है। इस फोर्स में डीएसपी रैंक के अधिकारी के अलावा इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर और सिपाही की तैनाती होगी। 16 सिपाहियों का सशस्त्र दस्ता भी होगा।
ईओयू के डीआईजी इस फोर्स के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे। यह पूरे राज्य में कहीं भी अभियान को अंजाम दे सकता है। मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के साथ गांजा और अफीम की अवैध खेती को नष्ट करने का भी काम इसी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के जिम्मे होगा। अंतर्राष्ट्रीय व अंतर्राज्यीय सिंडिकेट स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले सिंडिकेट देश के अलावा विदेशों में भी फैले हैं। भारत के आस पड़ोस खासकर पाकिस्तान, आफगनिस्तान, म्यन्मार, थाइलैंड और नेपाल से हेरोइन, चरस और दूसरे महंगे नशीले पदार्थों की तस्करी होती है।
गृह मंत्रालय ने इसपर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत केन्द्र के साथ राज्य स्तर पर भी विभिन्न कमेटी का गठन किया है। बिहार में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी गठित कर दी गई है। इसमें गृह, स्वास्थ्य, कृषि, मद्य निषेध और वन विभाग के प्रमुख अधिकारियों के अलावा डीजीपी और केन्द्रीय एजेंसियों के अफसरों को भी सदस्य के तौर पर रखा गया है। ऐसी ही कमेटी डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तर पर बनी है। मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध खेती को रोकने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन इसी वृहद योजना का एक हिस्सा है।