BPSC की परीक्षा पास कर किसान का बेटा बना DSP, कभी खाने के पैसे नहीं थे, नमक-रोटी खाकर बेटा को पढ़ाया, जानें- संघर्ष की कहानी..

न्यूज डेस्क: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने गुरुवार को 65वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित हुए जिनमे कुल मिलाकर 422 उम्मीदवारों का सिलेक्शन हुआ। इनमे से एक थे मुजफ्फरपुर जिले के धनौर गांव के रहने वाले किसान के बेटे राजीव कुमार सिंह.. जो इस बार BPSC की परिषय में 45वीं रैंक हासिल कर डीएसपी बना। जिससे उसके क्षेत्रों में काफी चर्चा का विषय बना हुआ। ऐसे हम इसलिए कह रहे की क्योंकि डीएसपी बनने का यह सफर राजीव के लिए इतना आसान नहीं था।

जब राजीव दसवीं क्लास में थे तब साल 1999 में केवल एक नंबर से ये मैट्रिक में फेल हो गए थे। लेकिन इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दूसरी बार मे मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन से पास किया। और आज किसान के इस बेटे ने डीएसपी बनकर अपने पिता का सपना पूरा किया है। राजीव की महनत और लगन देख सोहनलाल द्विवेदी जी की कविता याद आती है ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ‘ और कुछ ऐसा ही राजीव ने कर दिखाया है ।

मुजफ्फरपुर जिले के धनौर गांव के रहने वाले राजीव कुमार सिंह काफी मेहनती है और 45 वी रैंक लाकर पूरे गाँव में चर्चा का विषय बने हुए है। इनके पिता राम लक्ष्मण सिंह एक किसान हैं और धनौर गांव में ही रहकर खेती करते हैं। साल 2000 में मैट्रिक एग्जाम पास करने के बाद राजीव ने 2002 में इंटर की पढ़ाई पूरी की और इंटर पास करते ही CISF में नौकरी एक क्लर्क के रूप में हुई। सात साल बाद सीआईएसफ में क्लर्क की नौकरी छोड़कर इन्होंने वर्ष 2009 में सेंट्रल एक्साइज में टैक्स असिस्टेंट के रूप में इन्होंने फिरसे नौकरी ज्वाइन की। वही कस्टम में इंस्पेक्टर के रूप में इनकी नौकरी हुई और फिलहाल ये इसी विभाग में कस्टम सुपरिटेंडेंट पद पर काम कर रहे है।

बेटे की इस सफलता से बेहद प्रसन्न राजीव के पिता राम लक्ष्मण सिंह ने बताया कि बेटे की कामयाबी के पीछे काफी संघर्ष है। परिवार काफी आर्थिक तंगी में रहते हुए भी बच्चों के पढ़ाई में कभी किसी तरह की कमी नहीं आने दी। और सबकी पढ़ाई कारवाई । मैट्रिक में फेल होने के बावजूद भी राजीव ने हिम्मत नहीं हारी और आज वह एक कमयाब ऑफिसर बन गया है