न्यूज डेस्क : बिहार में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव को अगले आदेश के लिए टाल दिया है। बता दे की मंगलवार को हुई नीतीश कैबिनेट बैठक के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि बिहार में फिलहाल, पंचायत चुनाव नहीं होने वाला और ना ही पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल में विस्तार किया जाएगा। चुनाव कराने और मुखियाओं के कार्यकाल बढ़ाने को लेकर चल रहे कशमकश कर बीच सरकार ने बीच का रास्ता निकालने का फैसला किया है। राज्य में 16 जून से परामर्शी समिति के तौर पर गांव की सरकार काम करेगी।
15 जून से सभी जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल समाप्त: बिहार के सभी पंचायत प्रतिनिधि 2016 में चुन कर आए थे। कायदे से मार्च-अप्रैल में चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए था। मगर, ईवीएम (EVM) को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग में झगड़ा और फिर कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत ने पानी फेर दिया। जून में मॉनसून की शुरुआत हो जाएगी। ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया की पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा। इनके स्थान पर परामर्शी समिति पंचायतों का कामकाज देखेगी। वर्ष 2016 में गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरी 16 जून से स्वत: भंग मानी जाएंगी। इस तरह 15 जून के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। पंचायतों और कचहरियों का काम प्रभावित नहीं हो, इसके लिए परामर्शी समिति बनाई जाएगी।
कैबिनेट ने पंचायती राज विभाग को अध्यादेश तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है: बता दें कि 15 जून से सभी जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल खत्म होने के बाद 16 जून से पंचायतों में अनुमान है कि परामर्शी समिति काम करना शुरू कर देगी। हालांकि, पंचायती राज कानून में संशोधन किया जाएगा। परामर्शी समिति में कौन-कौन रहेंगे। यह अध्यादेश में प्रावधान किया जाएगा। कैबिनेट ने पंचायती राज विभाग को अध्यादेश तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। चर्चा है कि अधिकारियों और मौजूदा त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों को मिलाकर परामर्शी समिति गठित होगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि ब्लॉक स्तर पर सीओ या बीडीओ पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर परामर्शी समिति चलाएंगे। हर दो या तीन महीने में इसकी बैठक तय की जाएगी। इस मीटिंग में विकास योजनाओं की रूप-रेखा तय होगी। उसी हिसाब से फंड का एलॉटमेंट भी किया जाएगा। उसी तरह से जिला स्तर पर डीएम परामर्शी समिति का संचालन कर सकते हैं।
तो क्या अगले वर्ष पंचायत चुनाव होगा: बता दें कि सरकार के इस फैसले से साफ हो गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग अगले छह महीने चुनाव कराने नहीं जा रहा है। ऐसे में चुने हुए ढाई लाख से अधिक त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय प्राधिकार चुनाव में चुने जाने वाले विधान पार्षदों का भविष्य भी अधर में लटक गया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अब राज्य निर्वाचन आयोग अगले साल नगर निकाय के साथ त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव भी कराने पर विचार कर रहा है। हालांकि, इस पर अब तक अंतिम रूप से कोई निर्णय नहीं लिया गया है।