आखिर बिहार-यूपी के लाखों छात्र कोटा में क्यों पढ़ना चाहते हैं? वजह जान हिल जाएगा दिमाग..

न्यूज डेस्क: बिहार एक ऐसा राज्य है जहां शिक्षा व्यवस्था की स्तिथि ठीक नहीं है। यदि कोचिंग सेंटर्स वगैरा पटना जैसे राजधानी में हैं भी फिर भी लोग बाहर की ओर रुख कर रहे हैं। इसे जानने के लिए आपको कोटा का सफर करना होगा। जी हां प्रदेश से सालाना ढाई लाख बच्चे कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने जाते हैं।

यही आंकड़ा उत्तर प्रदेश से कोटा जाने वाले बच्चों का भी है। अब आपके मन में कई सारे सवाल होंगे कि क्या पटना या अन्य शहरों से अच्छे कोचिंग संस्थान वहां चलाए जा रहे हैं? क्या वहां बच्चों को यहां से अच्छा माहौल मिल रहा है? तो आज हम इस लेख में इन्हीं सब बातों पर चर्चा करेंगे।

20 से 25 फीसदी बच्चे सालाना जाते हैं कोटा

कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एक हब बन गया है। इसे गंगा समझे जाने लगा है जिसमें हर कोई नहाकर शुद्ध हो जाने का प्रयास करता है। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो कोटा जाने वाले विद्यार्थियों में 20 से 25 फ़ीसदी बच्चे बिहार के हैं। यही आंकड़ा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का भी है। यहां इन राज्यों से सबसे अधिक बच्चे तैयारी के लिए कोटा जाते हैं।

माहौल के लिए कोटा में भिड़

कोटा में पढ़ने वाले बच्चों से बात करने के बाद यह जानने की कोशिश की गई कि ऐसा क्या है कोटा में कि कई अन्य राज्यों से बच्चे यहां तैयारी करने के लिए आते हैं। तो उनका कहना था कि यहां एक अलग माहौल है। बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने आते हैं। वह सभी होनहार रहते हैं। चर्चा भी पढ़ाई की ही होती है। सभी बच्चे के ऊपर एक अलग लेवल का प्रेशर होता है, जिस कारण से पढ़ाई अच्छे तरीके से हो जाती है।

पासिंग परसेंट है कम

अब एक और बात मन में आ रही होगी कि कोटा में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का पासिंग रेट बहुत हाई होगा तो ऐसा नहीं है। हां यह कह सकते हैं कि टॉपर्स की लिस्ट में कोटा में पढ़ने वाले बच्चों का नाम रहता है। इसका यह कारण भी है कि यहां आने वाले बच्चे काफी सोच समझकर और तैयारी के मूड में आते हैं जिससे कोचिंग संस्थानों को ज्यादा उन पर मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती है और वह टॉप कर जाते हैं।

अधिकांश शिक्षक यूपी और बिहार के

एक बात और गौर करने वाली है कि यहां पढ़ाने वाले अधिकतर शिक्षक बिहार- यूपी के ही होते हैं। बस कोचिंग संस्थानों के मालिक राजस्थान के पाए जाते हैं। यदि बिहार के ही शिक्षक कोटा जाकर पढ़ा रहे हैं तो अपने राज्य के राजधानी पटना में भी तो इसके लिए कोचिंग संस्थान खोले जा सकते हैं? यह एक बड़ा सवाल है। कोटा कोचिंग रूपी एक बिजनेस हब बना दिया गया है जो विद्यार्थियों को आकर्षित करने में कामयाब है।